जिस तरह से प्रचार प्रसार हो रहा है, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बिना ध्रुवीकरण के चुनाव संभव नहीं है. चाहे वह कैराना से हिंदुओं के पलायन के बारे में हो, या 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बारे में. मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि का संदर्भ या देवबंद में एटीएस केंद्र की आधारशिला रखना, जिसमें राष्ट्रवाद पर ध्यान केंद्रित किया गया है. इस सब के केंद्र में मुस्लिम कार्ड है, जिसका उपयोग भाजपा अपने खेमे में हिंदुओं को और अधिक लुभाने के लिए कर रही है.
शामली जिले के कैराना से भाजपा के पूर्व सांसद हुकुम सिंह ने हिंदुओं के पलायन का मुद्दा उठाया था. इरादा हिंदू वोटों को मजबूत करना और जाटों और मुसलमानों के बीच दरार पैदा करना था. बाद में यह कानून और व्यवस्था का मुद्दा बन गया और इसमें कुछ भी सांप्रदायिक नहीं था. भाजपा उस मुद्दे को जीवित रखना चाहती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जाट और मुसलमान समाजवादी पार्टी-राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन को वोट न दें. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घर-घर जाकर पलायन प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और कहा कि कैराना के लोग अब डर के साये में नहीं जी रहे हैं. मुस्लिमों की ओर इशारा करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कथित तौर पर कहा कि 'वे कैराना के जरिए यहां कश्मीर बनाने का सपना देख रहे थे...'
यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कृष्ण जन्मभूमि का मुद्दा उठाया था. उन्होंने ट्वीट किया था कि अयोध्या में भगवान राम के मंदिर की तर्ज पर एक भव्य कृष्ण मंदिर के निर्माण की तैयारी चल रही है. इन सभी सांप्रदायिक मुद्दों के बीच, भाजपा उन किसानों को भी साधने की कोशिश कर रही है, जो तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध के दौरान 700 से अधिक किसानों की मौत से नाराज हैं. किसान इस बात से भी नाराज हैं कि लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे की एसयूवी ने कई किसानों को कुचल दिया. कथित तौर पर एसयूवी वही चला रहा था, लेकिन संवेदनशील पद पर बैठे मंत्री के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.
रालोद के प्रमुख जयंत चौधरी ने भाजपा की राजनीति को 'सांप्रदायिक रंग' देने के प्रयास को खारिज करते हुए कहा कि 'जिन्ना नहीं, बल्कि गन्ना जीतेगा.' यह एक तरह से पश्चिमी यूपी की कहानी का सार है. ऐसे मुसलमान हैं जो भाजपा से आशंकित हैं, जाट जो अब सभी मुसलमानों को दुश्मन और किसान के रूप में नहीं देखते हैं. मुख्य रूप से जाट, जो कृषि कानूनों के लिए भाजपा को माफ करने के मूड में नहीं हैं. पहली नजर में तो भाजपा के खिलाफ ही हालात हैं. यह बताता है कि अमित शाह उस क्षेत्र में मतदाताओं को लुभाने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं.