कोलकाता :दिवंगत कांग्रेस नेता गनी खान चौधरी के करिश्मे के कारण उनकी मृत्यु के बाद भी कांग्रेस कुछ समय के लिए इस जिले में मौजूद रही. जब वे जीवित थे तो उनकी बहन रूबी नूर के अलावा कोई भी परिवार सक्रिय राजनीति में नहीं आया था.
लेकिन उनकी मृत्यु के बाद केवल उसी परिवार ने जिले में कई सांसदों और विधायकों का उपहार दिया. इस सूची में गनी खान चौधरी के दो भाई, एक भतीजा और एक भतीजी शामिल हैं. यह दुर्लभ संयोग है कि एक दिवंगत नेता के करिश्मे ने लंबे समय तक विभिन्न चुनावों में जीत हासिल करने के लिए उनके परिवार के कई सदस्यों की मदद की.
अभी भी दिवंगत नेता जिले के में एक कारक हैं. अभियान शुरू करने से पहले सभी पक्ष उनके सम्मान में आगे आते हैं. वाम मोर्चे के शासन के दौरान माकपा शायद ही मालदा में सेंध लगा सकी. तृणमूल कांग्रेस के शासन के दौरान भी ममता बनर्जी की पार्टी जिले में ज्यादा बढ़त नहीं बना सकीं.