कोलकाता :2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में उत्तर बंगाल में भाजपा का प्रदर्शन राज्य के अन्य क्षेत्रों की तुलना में कहीं बेहतर किया और 54 में से 29 सीटें जीतीं. हालांकि 2021 विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद भाजपा की संगठनात्मक ताकत ने उत्तर बंगाल में अपनी पकड़ खोनी शुरू कर दी.
उत्तर बंगाल के पहाड़ी और मैदानी इलाकों सहित पूरे राज्य में भगवा खेमे में तृणमूल कांग्रेस से पीछे हटने की लहर का अहसास करना शुरू कर दिया. हाल ही में उत्तर बंगाल के पांच निर्वाचित भाजपा विधायक वहां एक पार्टी सम्मेलन में अनुपस्थित थे.
उनकी अनुपस्थिति ने पहले ही उनके सत्तारूढ़ दल के खेमे में शामिल होने की संभावनाओं के बारे में अफवाहें फैला दीं. उत्तर दिनाजपुर जिले के कालीगंज विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के निर्वाचित विधायक सौमेन रॉय तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए.
तीन दिन पहले उत्तर बंगाल में पार्टी के उक्त सम्मेलन में उपस्थित होने के बावजूद उन्होंने सत्ताधारी दल में शामिल होने का फैसला किया. अब सवाल यह उठ रहा है कि उत्तर बंगाल में भगवा खेमे के कितने विधायक आखिरकार तृणमूल कांग्रेस में शामिल होंगे.
यह सवाल तृणमूल कांग्रेस के पूर्व विधायक और पार्टी की कूचबिहार जिला कमेटी के अध्यक्ष उदयन गुहा ने उठाया है. आधिकारिक तौर पर बीजेपी 2019 में उत्तर बंगाल में एक दुर्जेय राजनीतिक ताकत के रूप में उभरी.
हालांकि यह उत्तर बंगाल में बीजेपी की मूल ताकत का प्रतिबिंब नहीं था. बीजेपी ने चुनावों से पहले बहुत सारे सपने बेचे और उत्तर बंगाल के लोग इससे प्रभावित हुए लेकिन अब उनका मुखौटा उतरने लगा है.
गुहा के मुताबिक 2019 में बीजेपी ने धर्म का कार्ड खेला और बांग्लादेश से आने वाले शरणार्थियों की बात कहकर प्रभावित किया. इस प्रकार उन्हें तब जनता का समर्थन प्राप्त हुआ. लेकिन बाद में लोगों को होश आया.
अब वे फिर से अलग राज्य का मुद्दा उठाकर उत्तर बंगाल के लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन इससे आम जनता नाराज हो गई और भाजपा से दूर होने लगी. हाल ही में खेमे की अदला-बदली का दौर भाजपा के प्रति जनता के गुस्से को दर्शाता है. जब नेताओं ने जनता की नब्ज के अनुसार अपने कदम तय किए.
हालांकि एक बार कूहबिहार जिले के तृणमूल नेता और वर्तमान भाजपा विधायक मिहिर गोस्वामी गुहा से सहमत नहीं हैं. तृणमूल कांग्रेस उत्तर बंगाल में हमारे भविष्य के बारे में इतनी चिंतित क्यों है? क्षेत्र के लोगों ने अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को वोट दिया. इसलिए लोग निश्चित रूप से स्वार्थ की सेवा के लिए तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं लेकिन इससे भाजपा पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
पार्टी की अदला-बदली जरूरी नहीं कि किसी राजनीतिक दल के संगठनात्मक नेटवर्क में वृद्धि का फैसला करे. हम उत्तर बंगाल के लोगों के साथ हैं और इसलिए हम उन्हें स्वीकार्य हैं. राजनीतिक पर्यवेक्षक इस अदला-बदली की प्रवृत्ति को महज संयोग बताने से इनकार करते हैं.