देहरादून:जंगलों ने शिकारियों और जंगली जानवरों के खतरों के बीच कई किलोमीटर क्षेत्र में नज़र रखना वनकर्मियों के लिए इतना आसान नहीं है. फिर भी जान हथेली पर रखकर ये वनकर्मी अपनी ड्यूटी को बखूबी निभा रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम भी पेट्रोलिग की इन्ही चुनौतियों और खतरों को आप तक पहुंचाने जा रही है. पढ़िए ये स्पेशल रिपोर्ट...
जंगल में हर पल खतरा: जंगल के तौर-तरीके यहां के अपने कानून के हिसाब से बने हैं. इंसानी कानूनों से अलग यहां की दुनिया किसी पाबंदी से नहीं बंधी है. यहां शिकार पर निकले बाघ और गुलदार जैसे तमाम खूंखार जानवरों की मौजूदगी भी है और जहरीले जीवों का खतरा भी. लेकिन ये बातें वन कर्मियों के लिए कोई मायने नहीं रखती, क्योंकि उनका काम जंगल के कानून में बिना दखल दिए वन और वन्यजीव कानून को अमल में लाना है.
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ईटीवी भारत की टीम ने अलर्ट के दौरान वनकर्मियों के इसी मुश्किल और जोखिम भरे काम को करीब से जानने के लिए राजाजी नेशनल पार्क जाने का फैसला लिया. इसके लिए टीम राजाजी टाइगर रिजर्व के रामगढ़ रेंज में पहुंची. जहां से इस रेंज में पेट्रोलिंग पर निकली 10 सदस्यीय टीम का हम हिस्सा बन गए.
रामगढ़ रेंज: राजाजी टाइगर रिजर्व एक बड़े हिस्से में फैला हुआ है, इसकी रामगढ़ रेंज क्लेमेनटाउन क्षेत्र से आशारोड़ी और सुस्वा नदी के किनारे के एक बड़े क्षेत्र में फैली हुई है. इस क्षेत्र में हाथियों की बहुलता के साथ बाघ और गुलदार की भी मौजूदगी है. घने जंगल के साथ नदी का भी बड़ा एरिया इस रेंज में पड़ता है, लिहाजा यहां पर पेट्रोलिंग करना काफी मुश्किल काम है. हमें बताया गया कि पेट्रोलिंग के दौरान गाड़ी और मोटरसाइकिल के साथ पैदल रास्ता भी नापना पड़ता है. इस तरह ईटीवी भारत की टीम वन कर्मियों के साथ इस रेंज के एक बड़े हिस्से की पेट्रोलिंग के लिए गाड़ी से रवाना हुई.
पथरीली जमीन और उबड़ खाबड़ रास्ते: गश्त के दौरान यहां पर पथरीली जमीन और उबड़-खाबड़ रास्ते एक बड़ी चुनौती है. इसके बावजूद भी कुछ इलाकों में गाड़ी जा सकती है. पेट्रोलिंग के लिए निकली टीम रास्तों में रूककर शिकारियों के जंगल में मौजूदगी से जुड़े निशानों और वन्यजीवों के पद चिन्हों का भी मुआयना करती है. रेंज से निकलने के बाद करीब 4 किलोमीटर पर हमें एक ऐसी ही जगह मिली जहां लेपर्ड के पगचिन्ह दिखाई दिए. खास बात यह है कि इन चिन्हों से न केवल यह वनकर्मी वन्यजीवों की पहचान कर लेते हैं, बल्कि वन्यजीव मादा थी या नर इसका भी पता लगा लेते हैं.
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जंगल में बाइक से पेट्रोलिंग: गाड़ी से करीब 4 किलोमीटर के सफर में हिरन और सांभर आसानी से दिखाई दिये, हालांकि हमारी नजरें विशालकाय हाथी और बाघ को ढूंढ रही थीं. इसके बाद रामगढ़ रेंज में हाथियों की सबसे ज्यादा संभावना वाले नदी क्षेत्र की तरफ हम बढ़ गए. रास्ता कुछ संकरा होने लगा तो गाड़ी छोड़ अब मोटरसाइकिल पर गश्त के लिए आगे का सफर शुरू हुआ. जंगल के बीच पथरीले और उबड़ खाबड़ रास्ते में ट्रेंड वन कर्मी मोटरसाइकिल पर पेट्रोलिंग कर जंगल की सुरक्षा को देख रहे थे.
जरा सी गलती से जा सकती है जान: खास बात यह है कि रामगढ़ का एक क्षेत्र बेहद ज्यादा घने जंगल से भरा है और यहां दिन के समय भी घने जंगलों के कारण धूप कम ही जमीन तक पहुंच पाती है, ऐसे में ये क्षेत्र बेहद ठंडा रहता है और ठंड के मौसम में दुपहिया पर तो ये सफर कंपकंपी छुड़ाने वाला होता है.
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सबसे बड़ी मुश्किल यहां के रास्ते हैं जहां गाड़ी पर नियंत्रण खोने से जान पर बन सकती है, और जंगल के बीच घायल हुए तो खतरा कई गुना बढ़ जाता है. हालांकि प्रशिक्षित वन कर्मियों के साथ हम सुरक्षित नदी तक जा पहुंचे. यहां हमारी पहली तलाश पूरी हुई और हमें हाथी की मौजूदगी नजर आ गई. हाथी बेहद नजदीक थे, लिहाजा बिल्कुल भी आवाज ना निकालने की सलाह वनकर्मियों की तरफ से हमें दी थी और हमने वैसा ही किया. क्षेत्र में पहुंचने के बाद अब रास्ता और कठिन होने जा रहा था. लिहाजा वन कर्मियों ने पेट्रोलिंग के लिए अपने तीसरे पड़ाव पर पैदल रास्ता अख्तियार किया.
हथियार से लैस महिला वर्मी: पेट्रोलिंग के दौरान एक खास बात महिला वन कर्मियों को लेकर दिखी, जो हथियार से लैस होकर बिना डरे अपने काम को अंजाम देती हुई नजर आईं. रामगढ़ रेंज में ऐसी 4 महिला वनकर्मी है, जो दिन का उजाला हो या रात का अंधेरा जंगल के बीच वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए ड्यूटी देती थी. यहां मौजूद बीट अधिकारी समेत बाकी महिला वन कर्मियों से भी हमने उनके अनुभव साझा किए.
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