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High-Paying Jobs : ..इसलिए महिलाओं को कम मिलती है इस तरह की नौकरी, सर्वे में खुलासा - हाई पेयिंग जॉब्स में महिलाएं

हाई पेयिंग जॉब्स में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम होने पर एक अध्ययन हुआ है, जिसमें कई जानकारियां सामने आयीं हैं. आप भी जानिए कि महिलाओं को ऐसे मौके कम क्यों दिए जाते हैं....

Why women are underrepresented in high paying jobs
महिलाओं को कम मिलती है नौकरी

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Published : Jun 12, 2023, 1:12 PM IST

लंदन : हाई पेयिंग जॉब्स में महिलाओं की संख्या कम होने पर कई खास कारण पता चले हैं. प्रतिनिधित्व कम होने पर एक अध्ययन हुआ है, जिसमें उनको इस तरह की नौकरियों पर न रखे जाने के कारणों को जानने की कोशिश की गयी है. इस अध्ययन में कई बिंदुओं को प्रमुखता से इंगित किया गया है.

पुरुषों की तुलना में महिलाएं कम जोखिम लेती हैं, क्योंकि वे किसी भी नुकसान के प्रति अधिक संवेदनशील हैं. एक नए शोध से ये पता चला है. अध्ययन में यह भी पाया गया है कि महिलाओं की तुलना में पुरुष 'काफी अधिक' आशावादी होते हैं, जिससे वे जोखिम लेने के लिए तैयार रहते हैं.

ब्रिटिश जर्नल ऑफ साइकोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं कम जोखिम लेने की इच्छा रखती हैं. 53 प्रतिशत महिलाओं को नुकसान का डर रहता है. वहीं यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में बिजनेस इकोनॉमिक्स के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. क्रिस डावसन ने कहा, जोखिम लेने में लिंगों के बीच के अंतर से पता चलता है कि क्यों महिलाओं के उद्यमी होने की संभावना कम है, उच्च भुगतान वाली नौकरियों और उच्च प्रबंधन में उनका प्रतिनिधित्व कम है, और इक्विटी बाजारों में अपने धन का निवेश करने की संभावना कम है.

इन सबके बावजूद वास्तव में हम अभी भी इस बारे में बहुत कम जानते हैं कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में कम जोखिम क्यों लेती हैं.

डॉ. डावसन ने कहा, जब जोखिम भरे विकल्पों के बारे में सोचते हैं, तो लोग कुछ खोने की संभावना का आकलन करते हैं कि नुकसान कितना दर्दनाक होगा. मैंने पाया कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में कम जोखिम लेती हैं क्योंकि वे खोने की संभावना पर अधिक ध्यान केंद्रित करती हैं और संभावित नुकसान से होने वाले दर्द का अधिक अनुभव करती हैं. इस अध्ययन के लिए दो मनोवैज्ञानिक विशेषताओं की संयुक्त भूमिका की जांच की गई - नुकसान से बचना और आशावादी होना.

नुकसान से बचने को मापने के लिए, डॉ. डावसन ने 13,575 लोगों के एक सर्वे से डेटा लिया ताकि यह आकलन किया जा सके कि एक वर्ष से अगले वर्ष तक घरेलू आय में परिवर्तन मनोवैज्ञानिक कल्याण में परिवर्तन की भविष्यवाणी कैसे करते हैं. उन्होंने पाया कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों के लिए आय का नुकसान कम दर्दनाक है, लिंगों के बीच आय लाभ के मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाओं में कोई अंतर नहीं है. यह पूछे जाने पर कि अब से एक साल बाद वे खुद को वित्तीय रूप से कैसे देखते हैं, पुरुष महिलाओं की तुलना में काफी अधिक आशावादी थे.

अनुसंधान बताता है कि यह आशावाद महिलाओं की तुलना में उनकी क्षमताओं के बारे में पुरुषों के ज्यादा आत्मविश्वास से जुड़ा हो सकता है. शोध में कहा गया है कि अगर महिलाएं अनुकूल परिणामों की संभावना के बारे में कम आशावादी हैं और पुरुषों की तुलना में अपनी क्षमताओं में कम विश्वास करती हैं, तो वे स्वाभाविक रूप से जोखिम लेने से पहले मूल्यांकन करेंगी कि कितना नुकसान हो सकता है.

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--आईएएनएस से मिले इनपुट के साथ

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