बेंगलुरु :कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष डी के शिवकुमार (D K Shivakumar) ने गुरुवार को सवाल किया कि यहां अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बेंगलुरु के संस्थापक नादप्रभु केम्पेगौड़ा की 108 फुट ऊंची मूर्ति स्थापित करने के लिए सरकारी धन का इस्तेमाल क्यों किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मूर्ति का अनावरण 11 नवंबर को करेंगे. शिवकुमार ने कहा कि केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा का संचालन करने वाली बेंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (बीआईएएल) को मूर्ति पर काम करना चाहिए था. उन्होंने हवाई अड्डे को सरकार द्वारा प्रदान की गई भूमि और धन तथा हवाई अड्डे को होने वाली आय का उल्लेख किया.
इस परियोजना में मूर्ति के अलावा 23 एकड़ क्षेत्र में 16वीं सदी के शासक को समर्पित एक विरासत थीम पार्क है, जिसकी लागत सरकार को 84 करोड़ रुपये आई है. अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले मूर्ति की स्थापना के साथ राजनीतिक दलों के बीच केम्पेगौड़ा की विरासत का श्रेय लेने के लिए होड़ होती दिख रही है, जो विशेष रूप से पुराने मैसूर और दक्षिण के अन्य हिस्सों में प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय के बीच पूजनीय हैं.
शिवकुमार ने कहा, 'सरकारी धन का इस्तेमाल करके ऐसा करना (मूर्ति स्थापित करना) एक बड़ा अपराध है. हमने (कर्नाटक सरकार) जमीन और धन भी बेंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के लिए दिया है. 4,200 एकड़ भूमि में से, 2,000 एकड़ केवल छह लाख रुपये प्रति एकड़ में दी गई थी. धन के साथ, उनके पास शेयर हैं. उसे (बीआईएएल) अपने धन का इस्तेमाल करना चाहिए था, सरकारी धन का इस्तेमाल क्यों किया जाए.'
उन्होंने पत्रकारों से कहा, 'हवाई अड्डे को यह काम करना चाहिए था, क्या यह कमाई नहीं है? क्या उनकी संपत्ति की कीमत नहीं बढ़ी है, क्या हमने व्यावसायिक शोषण के लिए 2,000 एकड़ से अधिक जमीन दी है. आपको सरकारी धन की जरूरत क्यों थी? मुख्य सचिव क्यों चुप हैं? सरकारी धन का इस्तेमाल करने की कोई आवश्यकता नहीं थी.' शिवकुमार ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार अब ऐसा व्यवहार कर रही है जैसे कि मूर्ति स्थापना उनकी पार्टी का काम है.