मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने महाराष्ट्र सरकार से सोमवार को प्रश्न किया कि कोरोना वायरस संक्रमण रोधी टीके की दोनों खुराक ले चुके लोगों को मुंबई में लोकल ट्रेनों में यात्रा करने की इजाजत क्यों नहीं दी जा सकती.
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता (Chief Justice Dipankar Datta) और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी (Justice GS Kulkarni) की पीठ ने कहा कि अगर संक्रमण रोधी टीके की खुराक लेने के बाद भी नागरिकों से घरों के अंदर रहने की उम्मीद की जाती है तो टीके की दोनों खुराक लेने का मतलब ही क्या है.
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पीठ ने महाराष्ट्र के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणि के कथन पर यह सवाल किया. कुंभकोणि ने पीठ को सूचित किया था कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार सभी अधिवक्ताओं, न्यायिक क्लर्क और अदालत के कर्मचारियों को लोकल ट्रेनों में यात्रा करने की अनुमति देने का 'इच्छुक' नहीं है.
इस समय केवल अग्रिम मोर्चे के कर्मचारी और सरकारी कर्मचारियों को ही लोकल ट्रेनों का इस्तेमाल करने की अनुमति है. अदालत वकीलों और आम लोगों की ओर से दाखिल जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें वकीलों को अदालतों और अपने कार्यालयों तक पहुंचने के लिए लोकल ट्रेनों और मेट्रो से यात्रा की मंजूरी देने का अनुरोध किया गया है. मामले की अगली सुनवाई पांच अगस्त को होगी.
(पीटीआई-भाषा)