पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमारने डेढ़ साल बाद जी20 डिनर के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जिस गर्मजोशी से मुलाकात की, उससे न केवल बिहार में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी सियासी हलचल बढ़ गई है. एक तरफ इंडिया गठबंधन की तीन बैठक होने के बाद भी संयोजक पद पर फैसला नहीं हो सका, वहीं दूसरी ओर पीएम से सीएम की मुलाकात ने गठबंधन के भविष्य को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस बात को लेकर भी अटकलें तेज हो गईं हैं कि क्या नीतीश फिर पाला बदलेंगे?
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नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी से मुलाकात की: दरअसल जी20 डिनर के बाद जो तस्वीर सामने आई, उसमें पीएम मोदी का हाथ नीतीश के हाथ में हैं, तस्वीर में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और भारत की राष्ट्रपति द्रोपदी मूर्मू भी हैं लेकिन नीतीश के हाथ में मोदी का हाथ, इस तस्वीर को देख सियासी चर्चा शुरू हो गई कि कहीं नीतीश कुमार एक बार फिर से पलटी न मार ले.
मुलाकात के बाद बिहार को केंद्र का तोहफा:इस सियासी फुसफुसाहट को और हवा उस वक्त मिल गई जब, रात्रिभोज के अगले ही दिन केन्द्र सरकार ने बिहार को 1942 करोड़ रुपये (स्वास्थ्य और पंचायती राज) जारी कर दिए. इससे पहले बिहार सरकार ने केन्द्र पर सौतेलेपन का आरोप लगाती रही है. बिहार सरकार ने तो यहां तक कह दिया था कि केन्द्र सरकार 2023-24 में 15वें वित्त आयोग की राशि जारी नहीं कर रहा है.
"इंडिया गठबंधन मजबूत है और इस बार ऐसा इलाज होगा कि आदरणीय नरेंद्र मोदी और उनके कुनबे में इतना नैतिक बल नहीं होगा कि जनता के सवाल का जवाब दे सकें. मुलाकात को लेकर बिना मतलब का सियासी एंगल ढूंढने की जरूरत नहीं"- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जेडीयू
"नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी से मिले हैं तो यह कयास लगाए जाने लगे कि एनडीए में चले जाएंगे. अगर अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन से मिले है तो क्या अमेरिका में गठबंधन बना लेंगे. इंडिया गठबंधन बहुत मजबूत है और राहुल गांधी ने भी कहा है कि अभी 60 फीसदी देश की जनता का प्रतिनिधित्व इंडिया गठबंधन कर रहा है और आने वाले 4 विधानसभा चुनाव में जीत के बाद यह 70 प्रतिशत से अधिक हो जाएगा"- राजेश राठौर, प्रवक्ता, कांग्रेस
पीएम मोदी से नीतीश की ये मुलाकात क्यों है खास?:असल में पिछले डेढ़ साल से नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मुलाकात नहीं हुई थी. जब एनडीए की सरकार थी, तब जातीय जनगणना को लेकर सर्वदलीय बैठक में दोनों की मुलाकात हुई थी. नीति आयोग की बैठक समेत अन्य बैठकों से भी सीएम ने दूरी बना ली थी. नीतीश कुमार जिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के दिए जी20 डिनर में शामिल हुए हैं, उनके शपथ ग्रहण समारोह में भी वह शरीक नहीं हुए थे. यहां तक कि संसद भवन के उद्घाटन समारोह का भी उन्होंने बहिष्कार कर दिया था. नीतीश कुमार पहले भी पाला बदल चुके हैं. इसलिए इस बार भी कयास लगाए जा रहे हैं. एनडीए के सहयोगी जीतनराम मांझी ने भी नीतीश कुमार के पाला बदलने का दावा किया है.
बीजेपी को नीतीश की जरूरत नहीं-सुशील मोदी:बिहार के सियासी गलियारों में फुसफुसाहट हुई तो पूर्व उपमुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने साफ कर दिया कि इस मुलाकात से चुनावी राजनीति का कोई वास्ता नहीं है. उन्होंने दो टूक कहा कि अब बीजेपी को नीतीश कुमार की कोई जरूरत नहीं है. बल्किन नीतीश कुमार किसी भी गठबंधन के लिए बोझ है, क्योंकि साल 2022 में तीन उप चुनावों ने साबित कर दिया है नीतीश कुमार अपना जनाधार और वोट ट्रांसफऱ कराने की क्षमता खो चुके हैं.
''रात्रिभोज में तो ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल सहित कई मुख्यमंत्री पहुंचे थे. रात्रिभोज में नीतीश कुमार के शामिल होने का बिहार में मनमाना राजनीतिक अर्थ निकाला जा रहा है, ताकि कांग्रेस और आरजेडी पर दबाव बनाया जा सके. समय से पहले संसदीय चुनाव का शिगूफा भी इस हथकंड़े का हिस्सा है. बीजेपी ने नीतीश कुमार के लिए दरवाजे बंद कर पलटीमार राजनीति की गुंजाइश खत्म कर दी है.'' -सुशील कुमार मोदी, राज्यसभा सांसद, बीजेपी
नीतीश कुमार पर क्या बोले प्रशांत किशोर?:वहीं चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एक वीडियो जारी कर नीतीश कुमार पर निशाना साधा. प्रशांत किशोर ने कहा है कि ''इंडिया गठबंधन नीतीश कुमार के लिए गेट हैं तो एनडीए खिड़की है. अगर नीतीश कुमार को इंडिया में भाव नहीं मिला तो वो पाला बदल कर खिड़की के रास्ते एनडीए में जा सकते हैं.''
क्या कहते हैं सियासी जानकार?:राजनीतिक विशेषज्ञ प्रो. अजय झा का कहना है कि नीतीश कुमार ने जिस तरह से जी20 समिट के भोज के दौरान प्रधानमंत्री से मुलाकात की है, उससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि फिर से पाला बदलेंगे. वह कहते हैं कि हालांकि राजनीति में यह सब होता रहता है, कोई नई बात नहीं है लेकिन नीतीश कुमार दबाव की राजनीति करने में माहिर हैं. इस मुलाकात को लेकर भी कैलकुलेट करेंगे कि इंडिया गठबंधन में उनकी क्या स्थिति बनती है. यदि उन्हें लगेगा कि महत्वपूर्ण भूमिका उन्हें नहीं मिलेगी और गठबंधन की सरकार नहीं बनने वाली है तो कोई बड़ा फैसला भी ले सकते हैं.
क्या सच में नीतीश कुमार पाला बदलेंगे?:मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मन में क्या चल रहा है, यह तो उनकी पार्टी जेडीयू के नेता भी बताने की स्थिति में नहीं है लेकिन जब भी अपने सहयोगी गठबंधन की तरफ से दबाव होता है तो वह इसी तरह की रणनीति अपनाते हैं. इंडिया गठबंधन में भी नीतीश कुमार को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं मिल रही है. न तो संयोजक बनाया जा रहा है और न ही प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर कोई फैसला हो रहा है. उधर आरजेडी चीफ लालू यादव भी तेजस्वी यादव को सीएम बनाने को लेकर उन पर दबाव बना रहे है. ऐसे में मोदी और नीतीश की ये मुलाकात सियासत में नया गुल खिला सकती है.