Tribals Are So Important: आदिवासी क्यों हैं अहम, दीपक बैज को पीसीसी चीफ और मरकाम को मंत्री पद देने का कांग्रेस को कितना नफा नुकसान ?
Tribals Are So Important कांग्रेस हाईकमान के निर्देश पर मोहन मरकाम को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया है और इसकी जवाबदारी अब बस्तर सांसद दीपक बैज को सौंपी गई. हालांकि आदिवासी वोटबैंक को साधने के लिए मरकाम को शिक्षा मंत्री का पद दिया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में आदिवासी इतने अहम हैं कि इन्हें साधने के लिए कांग्रेस और भाजपा अभी से ही एड़ी चोटी का जोर लगाने लगे हैं.
आदिवासी क्यों हैं अहम
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Published : Jul 13, 2023, 10:41 PM IST
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Updated : Jul 14, 2023, 6:11 AM IST
आदिवासी क्यों हैं अहम
रायपुर:विधानसभा चुनाव 2023 को देखते हुए कांग्रेस इस बदलाव को बेहतर प्रभाव के रूप में देख रही है. वहीं विपक्ष इसे महज राजनीतिक स्टंट करार दे रही है. हालांकि राजनीतिक एक्सपर्ट का मानना है कि यह बदलाव पहले से ही निश्चित था. क्योंकि मोहन मरकाम का कार्यकाल पूरा हो चुका था और ऐसे में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति होनी ही थी. इसके अलावा सत्ता और संगठन में भी दूरियां थी. इस वजह से भी इस बदलाव के कयास लगाए जाते रहे हैं. मरकाम को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाकर मंत्री बनाए जाने का एलान भी सरकार ने कर दिया है. ऐसे में इन नियुक्ति के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. राजनीतिक एक्सपर्ट तो इसे युवाओं को साधने सहित आदिवासी वोट बैंक हासिल करने के लिए कांग्रेस की ओर से उठाया गया महत्वपूर्ण कदम भी बता रहे हैं. चुनाव के चंद महीने पहले किया गया यह प्रयोग कांग्रेस के लिए कितना कारगर साबित होगा, आइए जानने की कोशिश करते हैं.
आदिवासी क्यों हैं अहम
चुनाव में बेहतर नतीजों के लिए कांग्रेस ने किया बदलाव:विधानसभा चुनाव 2023 को देखते हुए ही कांग्रेस ने दीपक बैज के पीसीसी चीफ और मोहन मरकाम को मंत्री बनाने के फैसला किया है. सीएम बघेल ने रायपुर अधिवेशन में ही इसके लिए प्रस्ताव पारित होने की जानकारी दी. दोनों फैसलों को लेकर कांग्रेस कांफिडेंस में है और चुनाव में बेहतर रिजल्ट की उम्मीद में है.
संगठन में अलग-अलग लोगों को अलग-अलग जिम्मेदारी मिलती रहती है. जो कार्यकाल मोहन मरकाम का था तो सभी प्रदेशों में बदलाव हो रहे हैं. रायपुर महाअधिवेशन में पारित हुआ था कि 50 परसेंच जो सीटें हैं, वह 50 साल के कम उम्र वालों को मिलनी चाहिए. हमारे यहां शुरुआत हो रही है. दीपक बैज अभी मुश्किल से 42 के हैं. नौजवान को प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान सौंपी गई है. उनको बधाई शुभकामनाएं. -भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़
कांग्रेस में बदलाव पर बीजेपी का तंज:टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाए जाने के बाद पिछले दो दिनों में दो बड़े बदलाव कर कांग्रेस ने बीजेपी को हैरान कर दिया है. बीजेपी ने मरकाम को 100 दिन का मंत्री बनाए जाने की बात कहकर कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल उठाया है.
मोहन मरकाम को पहले प्रदेश अध्यक्ष से हटाया गया, एक नया अध्यक्ष बनाया गया. इसे कंपनसेट करने के लिए कुछ न कुछ करना था. इसलिए 100 दिन का मंत्री बनाकर इनको बड़ा वाला झुनझुना पकड़ा दिया. इससे भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा. कांग्रेस हार रही है. बुरी तरह से पीछे रहेगी.-डॉ रमन सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भाजपा
पहले से तय था मोहन मरकाम का बदलना:राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बदलने को पहले से निर्धारित बताया. इसके लिए मोहन मरकाम का कार्यकाल पूरा होने का हवाला दिया. साथ ही सत्ता और संगठन के बीच तालमेल बनाने के लिए भी बदलाव को जरूरी बताया.
दीपक बैज को लाने की दो प्रमुख वजह है. पहला राहुल गांधी की ओर से जिस तरह से युवाओं को फोकस किया जा रहा है, उसमें दीपक बैज फिट बैठते हैं. वहीं दीपक बैज बस्तर से इकलौते सांसद हैं, आदिवासी भी हैं. ऐसे में दीपक बैज के जरिए बस्तर को साधने का प्रयास भी किया गया है. क्योंकि सत्ता की चाबी बस्तर से ही होकर निकलती है. बस्तर की 12 सीटों को टारगेट कर कहीं ना कहीं पार्टी ने यह निर्णय लिया है. वर्तमान में यह सभी सीटें कांग्रेस के पास हैं. ऐसे में पार्टी किसी भी स्तर पर इन सीटों को गंवाना नहीं चाहती. -उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार
सत्ता और संगठन के बीच के गैप का फायदा उठा सकती है भाजपा :इस परिवर्तन का कहीं ना कहीं भाजपा फायदा उठाएगी. चुनाव के पहले यह परिवर्तन किया गया है तो स्वाभाविक है कि सत्ता और संगठन के बीच तालमेल में कुछ गैप भी आएंगे. इस गैप का फायदा उठाकर भाजपा की पूरी कोशिश कांग्रेस को घेरने की होगी.
राजनीति में जातीय समीकरण :छत्तीसगढ़ में लगभग 32 फीसदी आबादी आदिवासी (अनुसूचित जनजाति) की है. करीब 13 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति वर्ग की और करीब 47 प्रतिशत जनसंख्या अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की है. अन्य पिछड़ा वर्ग में करीब 95 से अधिक जातियां शामिल हैं.
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90 सीटों पर जातिगत आरक्षण :छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा की सीटें हैं. इनमें से 39 सीटें आरक्षित है. इन सीटों में से 29 सीटें अनुसूचित जनजाति और 10 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. आरक्षित सीटों के बाद बची 51 सीटें सामान्य हैं.
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अनुसूचित जनजाति की 29 में से 27 सीटों पर कांग्रेस:प्रदेश में 15 सालों तक भाजपा की सरकार रही. बावजूद इसके साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में आदिवासियों की 29 सीटों में से महज 2 सीटें ही भाजपा को मिली हैं. बाकी की 27 सीटों पर कांग्रेस काबिज है.