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क्यों देते हैं पितरों को चावल या खीर का पिंड? जानें रहस्य - पितृ पक्ष इतिहास

पितृ पक्ष 2022 (Pitru Paksha 2022) में 17 दिनों का समय पितरों का समय माना जाता है. इन 17 दिनों में लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं. इस दौरान पितरों को चावल या खीर का ही पिंड क्यों दिया जाता है पढ़ें.

Pitru Paksha 2022
Pitru Paksha 2022

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Published : Sep 10, 2022, 10:07 AM IST

Updated : Sep 10, 2022, 1:47 PM IST

गया:पितृपक्ष का आज पहला दिन है. काफी संख्या में लोग अपने पितरों का पिंड दान करने के लिए गया पहुंच रहे हैं. लेकिन इन सबके बीच आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि पितृपक्ष का महत्व क्या है और पितरों को पिंड क्यों देते हैं? उससे भी बड़ा और सवाल यह है कि आखिर पितरों को पक्के हुए चावल या खीर का ही पिंड ( Rice Or Kheer Pind Used In Pinddaan ) क्यों दिया जाता है? क्या है इसके पीछे की मान्यता विस्तार से पढ़ें..

पढ़ें- मसौढ़ी के पुनपुन से त्रिपाक्षिक पिंडदान शुरू, गयाजी से पहले यहां तर्पण करने की है परंपरा

पितरों को दिया जाता है गोलाकार पिंड:पुराण में उल्लेखित है कि पितृ पिंड की कामना करते हैं. गेंहू, जौ, चावल या खीर के पिंड उनको भाते हैं. पिंड का आकर गोलाकार होता है, बिल्कुल जैसे मां की कोख में भ्रूण रहता है. जब मृत्यु होती है तो आत्मा उसी गोलाकार आकार में शरीर से बाहर निकलती है. ये धार्मिक और वैज्ञानिक स्तर पर प्रमाणित है. जिल आकार में पितृ ने जन्म लिया था उसी आकार में इस लोक से चले जाते हैं. इसलिए उनको गोलाकार पिंड भाता है. गया जी में कई पिंडवेदी पर हर दिन अनेकों सामग्री का गोलाकार पिंडदान अर्पित किया जाता है.

पंडितों का यह है मानना:पुरोहित राजाचार्य का कहना है किअश्विन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से श्राद्ध पक्ष शुरू होता है. भारत में श्राद्ध पक्ष को हिंदू विशेष रूप से मनाते हैं. श्राद्ध पक्ष में हमें इहलोक एवं परलोक दोनों के ही अस्तित्व का आभास कराता है. हमारे पितृ श्राद्ध पक्ष में वायु में मिलकर अधिक अदृश्य रूप में पृथ्वी पर आते हैं. अपनी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान तर्पण करते हुए देख तृप्त और प्रसन्न होते हैं और उसके बाद अपने गंतव्य अर्थात मोक्ष धाम को चले जाते हैं.

चावल का पिंडदान करते पिंडदानी

"पितृ पक्ष अथार्त महालया. समस्त पितर अपने पुत्रों के पास कुछ कामना लेकर आते हैं. 15 दिन का पक्ष होता है. 15 दिन का पितरों का दिन रहता है. पुत्र याद कर रहा है कि नहीं देखने आते हैं. पिंडदान प्रदान किया जाता है इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं तुरंत अपने पुत्रों को आशीर्वाद देते हैं."- पुरोहित राजाचार्य

कब से शुरू हो रहा पितृ पक्ष 2022: पितृ पक्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा से शुरू होता है. भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि 10 सितंबर को है, ऐसे में पितृ पक्ष की शुरुआत 11 सिंतबर अश्विन माह के कृष्ण पक्ष के प्रतिपदा तिथि से हो रही है. इसका समापन 25 सितंबर को होगा. इस बीच पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए उनका तर्पण अवश्य करना चाहिए.

"पितरों के निमित्त गया श्राद्ध करने आए हैं. गया श्राद्ध से मोक्ष की प्राप्ति होती है. यहां भगवान विष्णु का मंदिर है. स्नान करके पिंडदान का कर्मकांड कर रहे हैं. पूरे पितृपक्ष यहां रुकेंगे. 3 पीढ़ी का पिंडदान कर रहे हैं. गयाजी आकर काफी खुशी मिली है."- रामामयी शर्मा, ग्वालियर से आए पिंडदानी


क्यों करते हैं पितृ पक्ष?:हिंदू धर्म में व्यक्ति के मृत्यु के पश्चात उसे पितृ की संज्ञा दी जाती है. मान्यता अनुसार मृतक का श्राद्ध या तर्पण न करने से पितरों की आत्मा को शांति नहीं मिलती है, जिससे घर में पितृ दोष लगता है और घर पर कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होती हैं. वहीं जिनके घर के पितृ प्रसन्न रहते हैं उनके घर कभी कोई मुसीबत नहीं आती है. ऐसे में पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए आश्विन माह में 15 दिन का पितृ पक्ष समर्पित होता है, इस बीच पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध किया जाता है.

"पिंडदान करने आए हैं. माता-पिता और साथ ससुर का पिंडदान करने को परिवार के साथ आई हूं. पिंड दान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी."- बॉबी देवी, राजस्थान से आई पिंडदानी

पितरों को दिया जाता है गोलाकार पिंड

गया श्राद्ध का क्रम: गया श्राद्ध का क्रम 1 दिन से लेकर 17 दिनों तक का होता है. 1 दिन में गया श्राद्ध कराने वाले लोग विष्णुपद फल्गु नदी और अक्षय वट में श्राद्ध पिंडदान कर सुफल देकर यह अनुष्ठान समाप्त करते हैं. वह एक दृष्टि गया श्राद्ध कहलाता है. वहीं, 7 दिन के कर्म केवल सकाम श्राद्ध करने वालों के लिए है. इन 7 दिनों के अतिरिक्त वैतरणी भसमकुट, गो प्रचार आदि गया आदि में भी स्नान-तर्पण-पिंडदानादि करते हैं. इसके अलावा 17 दिन का भी श्राद्ध होता है. इन 17 दिनों में पिंडदान का क्या विधि विधान है जानिए.

"पितरों के श्रद्धांजलि के लिए परिवार के साथ पहुंची हूं. परिवार के लोग बनारस, रायपुर, रांची से 11 की संख्या में आए हैं. वही और भी परिवार के सदस्य पिंडदान के लिए आएंगे. हमें अवसर मिला है, श्राद्ध कर्म और तर्पण करके पितरों को मोक्ष कामना करें. साथ ही बहुत खुशी हो रही है कि प्रशासन के द्वारा यहां काफी अच्छी व्यवस्था की गई है. इतने बड़े धाम में इतनी बड़ी व्यवस्था सराहनीय है."- राधा ड्रालिया, रांची से आई पिंंडदानी

Last Updated : Sep 10, 2022, 1:47 PM IST

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