नई दिल्ली: नेपाल में भी लोग इस सप्ताह की शुरुआत में जारी किए गए नए चीन मानक मानचित्र के विरोध में सामने आए हैं. नेपाली मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने चीन की निर्धारित पांच दिवसीय यात्रा रद्द कर दी, वहीं नेपाल छात्र संघ ने काठमांडू में चीनी दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन किया (Protest Against China Map).
बीजिंग ने 28 अगस्त को एक नया 'मानक मानचित्र' जारी किया जिसमें अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन के भारतीय क्षेत्रों को चीन के क्षेत्र के हिस्सों के रूप में दिखाया गया था. हालांकि यह कोई नई बात नहीं है, फिर भी नई दिल्ली ने चीन के समक्ष आधिकारिक विरोध दर्ज कराया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक बयान में कहा, 'हमने आज चीन के तथाकथित 2023 'मानक मानचित्र' पर चीनी पक्ष के साथ राजनयिक चैनलों के माध्यम से कड़ा विरोध दर्ज कराया है जो भारत के क्षेत्र पर दावा करता है.'
उन्होंने कहा कि 'हम इन दावों को खारिज करते हैं क्योंकि इनका कोई आधार नहीं है. चीनी पक्ष के ऐसे कदम केवल सीमा प्रश्न के समाधान को जटिल बनाते हैं.'
हालांकि, इस बार जो नया है वह दक्षिण चीन सागर में नाइन-डैश लाइन को चीनी क्षेत्र के हिस्से के रूप में शामिल करना है. चीन दक्षिण चीन सागर में कई दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ क्षेत्रीय विवादों में शामिल है. नया नक्शा जारी होने के बाद मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और ताइवान ने आधिकारिक तौर पर अपना विरोध जताया है.
लेकिन, नेपाल में भी लोग चीन के नए 'मानक मानचित्र' का विरोध क्यों कर रहे हैं? : मामला 2020 का है जब तत्कालीन केपी ओली सरकार ने हिमालयी राष्ट्र का एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था. नवंबर 2019 में भारत ने कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों को शामिल करके एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था, जिस पर नेपाल दावा करता है. इसके साथ ही मानचित्र पर नेपाल की चिंताओं पर विचार करने से इनकार कर दिया. इस पर ओली सरकार ने मई 2020 में तीन क्षेत्रों को शामिल करके नेपाल के नए मानचित्र का अनावरण किया गया. इससे नेपाल मानचित्र के उत्तर-पश्चिमी कोने पर एक नुकीला उभार भी जुड़ गया. मानचित्र को आधिकारिक तौर पर देश की संसद द्वारा अनुमोदित किया गया था.
काठमांडू के एक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया, 'अगर आप नेपाल के नए राजनीतिक मानचित्र को देखें तो देश के उत्तर-पूर्व कोने में एक उंगली उभरी हुई है.' हालांकि नेपाल ने अभी तक आधिकारिक तौर पर चीन के समक्ष अपना विरोध दर्ज नहीं कराया है, लेकिन काठमांडू के मेयर शाह ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में घोषणा की कि वह विरोध में चीन की अपनी निर्धारित पांच दिवसीय यात्रा रद्द कर रहे हैं.
शाह ने फेसबुक और एक्स पर कहा, 'मैं नेपाली क्षेत्र को भारत का बताने के चीन के कदम को गलत मानता हूं.इसलिए, मैंने नैतिक आधार पर चीन के निमंत्रण पर पांच दिवसीय यात्रा पर नहीं जाने का फैसला किया है.'