नई दिल्ली : भारतीय तटरक्षक बल के इस स्पष्ट दावे से कि ड्रोन का अभी भी संचालन में उपयोग नहीं किया जा रहा है, रक्षा पर बनी संसदीय स्थायी समिति ने आश्चर्य व्यक्त किया है. समिति ने संगठन को लागत कम करने और प्रभावशीलता और दक्षता में सुधार करने के लिए ड्रोन का उपयोग शुरू करने की सलाह दी है. समिति ने तीन महीने के अंदर संगठन से इस पर रिपोर्ट भी सौंपने को कहा है.
साक्ष्य की प्रस्तुति के दौरान, रक्षा मंत्रालय के एक प्रतिनिधि ने पैनल से यह पूछे जाने पर कि भारतीय तटरक्षक द्वारा ड्रोन का उपयोग कैसे किया जा रहा है, उन्होंने इसे विस्तार से समझाया. उन्होंने कहा कि हम जहाजों की परिचालन तैनाती को बढ़ाने के लिए जहाज-आधारित हेलीकॉप्टरों का उपयोग करते हैं, जो न सिर्फ निगरानी के समय को कम करते हैं, बल्कि खोज क्षेत्र को भी व्यापक करता है. अब तक हमने ड्रोन को शामिल नहीं किया है. हमारे पास अगले आने वाले वर्ष में ड्रोन का उपयोग करने की योजना है और तटीय निगरानी के लिए ड्रोन और एंटी ड्रोन हासिल करने का प्रस्ताव भेजा है.
बुधवार को संसद में प्रस्तुत पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में समकालीन तकनीकी विकास को ध्यान में रखते हुए और सशस्त्र बलों में भविष्य की तकनीक और देश में वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए, ड्रोन का उपयोग एक अनिवार्य आवश्यकता है. इसका खोज, बचाव कार्यों, निगरानी, पानी में यातायात की निगरानी, अग्निशमन आदि में उपयोग प्रभावी ढंग से किया जा सकता है.
इसके अलावा, ये न केवल अपने संचालन में बल्कि खरीद और रखरखाव में भी हेलीकॉप्टरों की तुलना में एक विकल्प हैं. इसकी ट्रेनिंग भी आसानी से दी जा सकती है. हेलीकॉप्टर पायलट को ट्रेनिंग देने में जितना समय लगता है, उसके मुकाबले इसमें बहुत कम समय लगता है.
पैनल ने सिफारिश की कि रक्षा मंत्रालय को भारतीय तटरक्षक बल में ड्रोन इंटरसेप्टर के साथ-साथ ड्रोन और एंटी-ड्रोन को शामिल करने के प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए कदम उठाने चाहिए और तत्काल आधार पर उनकी खरीद में आसानी की सुविधा प्रदान करनी चाहिए.