स्टेट कॉलेज (अमेरिका) :तालिबान ने मुल्ला हसन अखुंद को अफगानिस्तान का अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया है. मुल्ला अखुंद तालिबान में एक दिलचस्प और रहस्यमय व्यक्ति हैं. 1990 के दशक में चरमपंथी समूह की स्थापना के बाद से वह अफगानिस्तान में एक प्रभावी व्यक्तित्व रहे हैं.
इतिहासकार अली ओलोमी बताते हैं, लेकिन उस समय के अन्य तालिबान नेताओं के उलट, वह 1980 के दशक के सोवियत-अफगान युद्ध में शामिल नहीं रहे. तालिबान के संस्थापक मुल्ला मोहम्मद उमर और उनके साथी सोवियत विरोधी अफगान लड़ाकों के अव्यवस्थित नेटवर्क-मुजाहिदीन के साथ लड़े थे, लेकिन अखुंद उनमें शामिल नहीं थे.
दरअसल, उन्हें तालिबान में धार्मिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति के तौर पर अधिक देखा जाता है. उन्होंने धार्मिक विद्वानों और मुल्लाओं (इस्लामी धर्मशास्त्र में प्रशिक्षित लोगों को दिया जाने वाला सम्मान) से बनी पारंपरिक निर्णय लेने वाली संस्था तालिबान की शूरा परिषदों में सेवा दी.
अखुंद को 'बमियान के बुद्ध' का विनाश करने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों में से एक के तौर पर संभवत: बेहतर जाना जाता है. बमियान घाटी में चट्टानों और चूना पत्थरों से बनी बुद्ध की दो खड़ी विशाल मूर्तियों को 2001 में तालिबान ने नष्ट कर दिया था.
शुरुआत में, उमर का मूर्तियों को नष्ट करने का कोई इरादा नहीं था। लेकिन तालिबान के संस्थापक अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र की ओर से मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के बजाय यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के लिए संरक्षण राशि उपलब्ध कराए जाने से नाराज थे. उमर ने अपने शूरा की सलाह मांगी, और अखुंद उस परिषद का हिस्सा था जिसने छठी शताब्दी की मूर्तियों को नष्ट करने का आदेश दिया था.
अखुंद ने 1990 के दशक की तालिबान सरकार में विदेश मंत्री के रूप में कार्य करते हुए राजनीतिक भूमिका निभाई; हालांकि, उनका महत्व संगठन की धार्मिक पहचान के विकास में अधिक है. वह, मुल्ला उमर की तरह, सख्त इस्लामी विचारधारा के पक्षधर थे, जिसे देवबंदी के नाम से जाना जाता है.
तालिबान को 2001 में अफगानिस्तान से बेदखल किए जाने के बाद, अखुंद ने एक प्रभावशाली उपस्थिति बनाए रखी और ज्यादातर समय पाकिस्तान में निर्वासन में रहकर अपना काम करते रहे।.वहां से वह 2000 और 2010 के दशक में तालिबान को आध्यात्मिक और धार्मिक मार्गदर्शन देते रहे। इस भूमिका में, उन्होंने अमेरिका और अमेरिका समर्थित अफगान सरकार के खिलाफ चल रहे विद्रोह को विचारधार के अनुरूप तर्कसंगत ठहराया.