नई दिल्ली / इंफाल : मणिपुर के वीडियो ने पूरे देश को शर्मसार कर दिया है. वहां पर अभी भी स्थिति सामान्य नहीं है. कुकी और मैतेई समुदाय के बीच अविश्वास बढ़ता ही जा रहा है. मणिुपर के पड़ोसी राज्य मिजोरम में रहने वाले मैतेई खौफ में जी रहे हैं. बल्कि उनमें से अधिकांश लोगों ने मिजोरम छोड़ने की शुरुआत कर दी है. अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मणिपुर के हालात कितने खराब हैं. ऊपर से सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है. विपक्षी दल सरकार पर टूट पड़े हैं, जबकि सरकार विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में हो रही महिलाओं के खिलाफ हिंसा का बार-बार जिक्र कर रही है. दो दिनों से संसद में भी इस मामले की गूंज सुनाई दे रही है. बहुत संभव है कि सोमवार को पक्ष और विपक्ष के बीच कोई सहमति हो जाए, और इस मुद्दे पर चर्चा हो सके.
बहरहाल, इन सबों के बीच एक सवाल जो सबको हैरान कर रहा है, वह है इस वीडियो का देरी से सामने आना. वीडियो चार मई का है. मणिपुर के कांगपोकपी जिले की यह घटना है. दो महिलाओं को बिना कपड़े के घुमाया गया. उनके खिलाफ टिप्पणियां की गईं. पीड़ित महिलाएं और उसे परेड कराने वाले अलग-अलग समुदाय से हैं. कथित तौर पर इस घटना के बाद ही मणिपुर में हिंसा फैली थी.
मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि इंटरनेट बंद होने की वजह से यह वीडियो सबके सामने देरी से आया. लेकिन असम के मुख्यमंत्री ने कहा है कि संसद के मानसून सत्र की शुरुआत होने से ठीक एक दिन पहले वीडियो का सामने आना राजनीति से प्रेरित लग रहा है. केंद्रयी मंत्री स्मृति ईरानी ने भी कहा कि यह एक संवेदनशील मामला है, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़ा मामला है, विपक्षी नेताओं को इसकी जनकारी थी.
मीडिया में जो खबरें आ रहीं हैं, उसके अनुसार यह घटना बी.फैनोम गांव में घटी. यह गांव भाजपा विधायक के इलाके में आता है. विधायक का नाम - थोकचोम राधेश्याम सिंह है. राधेश्याम एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी हैं. वह मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के सलाहकार भी थे. इस घटना के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
अब सवाल ये है कि जिस गांव में घटना हुई, वहां रह रहे लोगों को इसके बारे में जानकारी थी, फिर भी पुलिस को शिकायत 18 मई को क्यों की गई. शिकायत उस गांव के मुखिया थांगबोई वैफेई ने की. सैकुल पुलिस थाने में शिकायत दी गई थी. सवाल ये भी पूछा जाना चाहिए कि गांव के मुखिया ने भी देरी क्यों की ?
इसके बाद यह खबर एक लोकल पोर्टल पर छपी. पोर्टल का नाम है - हिल्स जर्नल. लेकिन इंटरनेट बैन होने की वजह से इसकी पहुंच सीमित रही. लोग सवाल पूछ रहे हैं कि स्थानीय प्रशासन इससे बेखबर क्यों रहा " पुलिस ने शिकायत दर्ज होने के बावजूद एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की ?