दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

I.N.D.I.A. के लिए हेमंत सोरेन जरूरी या मजबूरी, आंकड़ों से जानिए 9 प्रतिशत वोट बैंक का मैथमेटिक्स - NDA Alliance

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए NDA-I.N.D.I.A. अपना-अपना गोटी सेट करने में लगे हैं. इंडिया गठबंधन दलों की तीन बैठकें हो चुकी हैं, एनडीए की ओर से भी बैठकों का दौर जारी है. एक-एक प्रतिशत वोट को लेकर समीकरण बिठाया जा रहा है. इसमें जाति-धर्म सभी का ख्याल रखा जा रहा है. शुक्रवार को मुंबई में हुई इंडिया की बैठक में हेमंत सोरेन को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है.

Tribal leader Hemant Soren
Tribal leader Hemant Soren

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 2, 2023, 7:34 PM IST

Updated : Sep 2, 2023, 10:28 PM IST

रांची:लोकसभा चुनाव 2024 को बाइपोलर बनाने की कोशिश की जा रही है. एक तरफ सत्ताधारी एनडीए और दूसरी तरफ इंडिया है. देश के अलग-अलग दो दर्जन से अधिक पार्टियों को जोड़कर एक I.N.D.I.A. बनाया गया है. इसमें बड़े बड़े नेताओं को अलग-अलग जिम्मेवारियां दी गई हैं. झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को समन्वय समिति का सदस्य बनाया गया है. उनपर देश भर के आदिवासियों को इंडिया के लिए साधने का भार है.

ये भी पढ़ें-हेमंत सोरेन का बढ़ा कद! राष्ट्रीय राजनीति में बनाई अलग पहचान या बने जरूरत, क्या कहते हैं एक्सपर्ट

हेमंत सोरेन को ही आदिवासियों को साधने की जिम्मेवारी क्यों दी गई है, ये समझने से पहले इसे समझना होगा कि किसी भी ग्रुप के लिए आदिवासी वोट बैंक क्यों महत्वपूर्ण है. पिछले कुछ दिनों से आदिवासी भारतीय राजनीति के केंद्र में हैं. इसलिए एनडीए की ओर से द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाकर आदिवासी कार्ड खेला गया है.

ETV BHARAT GFX

देश में आदिवासी आबादी: 2011 जनगणना की बात करें तो देश में आदिवासियों की जनसंख्या 10,42,81,034 थी, जो देश के कुल आबादी का 8.6% प्रतिशत था. ये आंकड़े 12 साल पहले के हैं, फिलहाल आदिवासियों की जनसंख्या 11 करोड़ से अधिक होने का अनुमान लगाया जा रहा है. अगर लोकसभा सीटों की बात करें तो 543 में 47 सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व हैं. वहीं तकरीबन 50 से अधिक ऐसी सीटें हैं, जहां पर आदिवासी जीत हार के लिए फैक्टर बन सकते हैं. वहीं अगर विधानसभा की बात करें तो देश में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 4123 विधानसभा सीटों में से 558 सीटें ट्राइबल के लिए आरक्षित हैं.

ETV BHARAT GFX

आदिवासी बहुल राज्य: देश में कई राज्य ऐसे हैं जहां पर आदिवासियों की संख्या 85 प्रतिशत से भी अधिक है. मिजोरम में आदिवासियों की आबादी 94.4 प्रतिशत है, जहां पर 40 विधानसभा सीटों में 39 ट्राइबल्स के लिए रिजर्व हैं. वहीं नागालैंड में आदिवासियों की जनसंख्या 86.5% है. यही आंकड़ा मेघालय में 86.1% और अरुणाचल प्रदेश में 68.8% है. अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में 60 में से 59 विधानसभा सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं. वहीं मेघालय में 60 विधानसभा सीटों में से 55 एसटी के लिए रिजर्व हैं. मेघालय में दो और मिजोरम में एक लोकसभा सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं.

ETV BHARAT GFX

आदिवासी प्रभाव वाले राज्य: राजनीतिक दृष्टिकोण से बात करें तो झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्रप्रदेश और मणिपुर आदिवासियों के प्रभाव वाले राज्य माने जाते हैं. छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की आबादी 30.6 प्रतिशत है, यहां पर 11 में से 4 लोकसभा सीटें इनके लिए आरक्षित हैं. झारखंड में इनकी जनसंख्या 26.11 प्रतिशत हैं, यहां पर 14 में पांच सीटें ट्राइबल्स के लिए आरक्षित हैं. ओडिशा में आदिवासियों की 22.84 प्रतिशत आबादी है, यहां पर 21 में से पांच सीटें रिजर्व हैं. मध्यप्रदेश में 21.01 प्रतिशत ट्राइबल्स हैं, यहां पर इनके लिए 29 में 6 सीटें रिजर्व हैं. गुजरात में 14.8 प्रतिशत आदिवासी हैं, यहां पर 26 में से चार सीटें रिजर्व हैं. राजस्थान में 13.48 फीसदी एसटी हैं, यहां पर इनके लिए 25 में से तीन सीटें आरक्षित हैं. महाराष्ट्र में 9.35 प्रतिशत आदिवासी आबादी है, यहां पर 48 में 4 सीटें ट्राइबल्स के लिए रिजर्व हैं.

ETV BHARAT GFX

हेमंत सोरेन ही क्यों हैं इंपॉर्टेंट: I.N.D.I.A. ने हेमंत सोरेन पर बड़ा दाव खेला है. आखिर उनको हेमंत पर इतना भरोसा क्यों है. झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में हेमंत सोरेन ने बीजेपी की सरकार को राज्य से उखाड़ फेंका था. पिछले कुछ सालों से केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी हेमंत सोरेन से जुड़े कई मुद्दे पर जांच कर रही है, साथ ही बीजेपी की ओर से सरकार को गिराने का कथित प्रयास भी किया गया है. हेमंत सोरेन यहां पर ईडी से जमकर मुकाबला कर रहे हैं. वहीं सरकार गिराने के मंसूबे को उन्होंने कई मौके पर विफल किया है. उनके इस जुझारूपन से उन्हें देश में बीजेपी से मुकाबला करने वाले बड़े नेताओं में गिना जाने लगा.

आदिवासी हित के लिए आक्रामक: हेमंत सोरेन हमेशा आदिवासी हितों की ही बात करते हैं, चाहे राज्य में 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और या फिर मणिपुर हिंसा. सभी विषयों पर हेमंत मुखर रहे हैं. वो मंच से कई बार यह कह चुके हैं कि उनके रहते कोई भी आदिवसियों का बाल भी बांका नहीं कर पाएगा. वहीं जब-जब ईडी की कार्रवाई उनके खिलाफ होती है, तब-तब आदिवासी होने का सहारा लेकर ही वे केंद्र सरकार पर हमला बोलते हैं.

जेएमएम में खुशी की लहर: जब से हेमंत सोरेन को इंडिया के समन्वय समिति में जगह मिली है, तब से पार्टी के नेता और कार्यकर्ता बहुत उत्सहित हैं. पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने इंडिया के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि आने वाले समय में हेमंत सोरेन लीड रोल में होंगे.

आदिवासी का मतलब सोरेन टाइटल: झारखंड बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि इस देश के आदिवासी जानते हैं कि बीजेपी ही उनकी हितैषी है, बीजेपी ने ही झारखंड और छत्तीसगढ़ राज्य का गठन किया है. संथाली भाषा को एनडीए की सरकार ने ही आठवीं अनुसूची में शामिल कराया था. भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाना हमने ही शुरू किया. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन ने आदिवासियों के लिए जितना वादा किया था वो पूरा नहीं कर पाए हैं. उनके लिए आदिवासी सिर्फ सोरेन टाइटल वाले लोग हैं. यानी माइनिंग लीज लेनी हो तो अपने ही परिजन याद आते हैं. उन्होंने कहा कि आईएनडीआईए इनको कितना भी प्रमोट करे, लेकिन झारखंड की जनता जानती है कि ये आदिवासियों के लिए कितने हितैषी हैं.

खैर आईएनडीआईए (I.N.D.I.A.) में हेमंत सोरेन ही हैं जो इकलौते आदिवासी मुख्यमंत्री हैं और राष्ट्रीय फलक पर उभरते हुए नेता है. ऐसे में इंडिया के लिए हेमंत सोरेन मजबूरी भी हैं और जरूरी भी. अब देखने वाली बात ये होगी कि हेमंत आदिवासियों का कितना वोट अपने गठबंधन दलों को दिला पाते हैं. साथ ही उनकी उम्मीदों पर हेमंत सोरेन कितना खरा उतरते हैं, यह तो 2024 लोकसभा के रिजल्ट के बाद ही पता चलेगा.

Last Updated : Sep 2, 2023, 10:28 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details