नई दिल्ली:नई दिल्ली इस साल 9-10 सितंबर को जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए तैयार है. भारत अंतर सरकारी मंच के स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघ (एयू) को शामिल करने के लिए जोरदार वकालत करेगा (African Union in G20).
इस वर्ष भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समूह के एजेंडे में अफ्रीकी देशों की प्राथमिकताओं को एकीकृत करने पर जोर दिया है. G20 एक अंतरसरकारी मंच है जिसमें 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं. मोदी ने 55 देशों वाले एयू को समूह का स्थायी सदस्य बनाने के लिए सदस्य देशों के सभी नेताओं को पत्र लिखा है. मोदी ने नई दिल्ली में जी20 के नेताओं के शिखर सम्मेलन से तीन महीने पहले यह अपील की थी.
मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस की सलाहकार और अफ्रीका की विशेषज्ञ रुचिता बेरी ने ईटीवी भारत को बताया, 'शुरू से ही भारत ने कहा कि उसकी जी20 की अध्यक्षता ग्लोबल साउथ के लिए एक आवाज़ होगी.' रुचिता बेरी ने कहा कि 'अफ्रीका ग्लोबल साउथ का दिल है. भारत अफ़्रीका को बहुपक्षीय मंच पर सबसे आगे लाना चाहता है.'
इथियोपिया और एयू में पूर्व भारतीय राजदूत और वर्तमान में एशिया अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर पर सीआईआई टास्क फोर्स के अध्यक्ष गुरजीत सिंह के अनुसार, भारत की जी20 की अध्यक्षता में भारत की अफ्रीका नीति को और बढ़ावा देने की क्षमता है.
सिंह ने ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के लिए 'इट्स टाइम फॉर अफ्रीका' शीर्षक से लिखे लेख में कहा, 'एक नवीनीकृत अफ्रीकी नीति G20 की अध्यक्षता में भारत को ग्लोबल साउथ (VOGS) की आवाज़ के रूप में प्रतिष्ठित करेगी.'
उन्होंने कहा कि 'चूंकि भारत वैश्विक दक्षिण की आवाज़ है, इसलिए विशेष रूप से अफ़्रीका के लिए बोलना महत्वपूर्ण है.' उन्होंने कहा कि 'अफ्रीका को (कोविड-19) महामारी और यूक्रेन संघर्ष के परिणामों से गहरा नुकसान हुआ है.'
G20 की अध्यक्षता संभालने के बाद, भारत ने इस साल जनवरी में वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ (VoGS) का एक वर्चुअल समिट आयोजित किया. 'आवाज़ की एकता, उद्देश्य की एकता' विषय पर आयोजित शिखर सम्मेलन में लगभग 120 देशों ने भाग लिया.