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गुजरात: इतने लंबे शासन के बावजूद बीजेपी को 'जन आशीर्वाद यात्रा' क्यों निकालनी पड़ रही?

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गुजरात के हालात काफी खराब हो गए थे. इस वजह से तत्कालीन सीएम विजय रूपाणी को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा. बीजेपी ने फिलहाल भूपेंद्र पटेल की सरकार में मंत्रियों के लिए 'जन आशीर्वाद यात्रा' का आयोजन किया है. इन तमाम घटनाक्रमों के बीच भाजपा के लिए वर्तमान में जन आशीर्वाद यात्रा क्यों जरूरी हो गई है? पढ़े ये विशेष रिपोर्ट...

जन आशीर्वाद यात्रा
जन आशीर्वाद यात्रा

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Published : Oct 8, 2021, 3:11 AM IST

अहमदाबाद:गुजरात में भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन काफी शानदार रहा है. 2002 के बाद से बीजेपी लगातार सत्ता में बनी है. बता दें, नरेंद्र मोदी ने जब से राज्य की सत्ता संभाली उसके बाद से वहां बीजेपी का एकछत्र राज रहा है.

बता दें, बीजेपी एक प्रदर्शन आधारित पार्टी है. पार्टी कार्यकर्ता लगातार काम करते रहते हैं. चाहे आनंदी बेन पटेल हों, विजय रूपाणी हों, या वर्तमान सीएम भूपेंद्र पटेल तीनों की सरकार में राज्य की जनता ने बीजेपी पर भरोसा जताया है. अगले साल राज्य में विधान सभा चुनाव होने हैं इसके चलते पार्टी ने गुजरात में जन आशीर्वाद यात्रा का आयोजन किया है. यह यात्रा भाजपा उस उम्मीदवार के निर्वाचन क्षेत्र में आयोजित करती है जो चुनाव जीता है और उसे मंत्री पद दिया जाना है. ऐसी रैलियां चुनाव से पहले और चुनाव जीतने के बाद भी होती हैं. इन रैलियों का मुख्य उद्देश्य उस क्षेत्र के लोगों के बीच अपनेपन की भावना पैदा करना है, जिन्हें लोगों ने वोट दिया है.

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल समेत पार्टी के प्रमुख नेताओं ने बार-बार कहा है कि केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं लोगों तक पहुंचनी चाहिए. इनमें आयुष्मान योजना, जन-धन योजना, उज्ज्वला योजना, मां अमृतम कार्ड योजना, मुख्यमंत्री आवास योजना आदि शामिल हैं. इसके माध्यम से भाजपा लोगों के मन में यह बात बैठाना चाहती है कि उसने क्या किया है, जिसे वोट में बदला जा सकता है.

गुजरात में कोरोना की दूसरी लहर में हालात ज्यादा खराब हो गए थे, जिसके चलते तत्कालीन सीएम विजय रूपाणी को पद से इस्तीफा तक देना पड़ा. गुजरात में भारतीय जनता पार्टी नरेंद्र मोदी और अमित शाह का अभी तक कोई विकल्प नहीं दे पाई. नतीजतन, यह लगातार ऐसी यात्राएं आयोजित करके लोगों के बीच रहने की कोशिश करती है. होर्डिंग्स में दोनों नेताओं की तस्वीरों का भी खूब इस्तेमाल होता है.

इसके साथ ही बीजेपी ने अपने मंत्रिमंडल में सभी जातियों के लोगों के लिए जगह तलाशने की कोशिश की है. इसलिए जन आशीर्वाद यात्रा के माध्यम से अपने क्षेत्र और जातियों के बीच प्रत्येक क्षेत्र के मंत्री का प्रभुत्व स्थापित होता है. राजनीतिक विश्लेषक हरेश जाला का कहना है कि बीजेपी हिंदुत्व का मोर्चा पहनकर वोट गिनती है. इसलिए लोग भी जमीन की हकीकत के बारे में सोचे बिना वोट देते हैं। इसके अलावा इन यात्राओं में बीजेपी के काफी कार्यकर्ता भी होते हैं, लोग सीधे तौर पर शामिल नहीं होते हैं.

बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब देश की सत्ता संभाली थी तब कांग्रेस मुक्त भारत बनाने की बात कही थी. इसके बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल ने भी बीजेपी कार्यकर्ताओं को आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव में सभी 182 सीटें जीतने का लक्ष्य दिया है. उस समय भाजपा द्वारा लोगों के मन में बदले हुए नए चेहरों को छापने के लिए ऐसा यार्त निरंतर जारी रहेगा.

कोरोना काल में जैसे-जैसे भारतीय जनता पार्टी की रैलियां हुईं, कोरोना बढ़ता गया. उसके बाद भी भाजपा के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई. अब 400 लोगों को गरबा में जाने की इजाजत है. उधर, भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा में हजारों की संख्या में भाजपा कार्यकर्ता शामिल हो रहे हैं. इस यात्रा में कार्यकर्ताओं से लेकर बड़े नेता मास्क या सामाजिक दूरी के नियमों का पालन नहीं करते, फिर भी पुलिस कोई कार्रवाई नहीं होती.

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