नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कथित पेगासस जासूसी मामले (pegasus snooping row) की स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई के दौरान कहा कि अगर इसके बारे में रिपोर्ट्स सही हैं तो जासूसी के आरोप गंभीर हैं. इस मामले में देरी क्यों हो रही है अब तक पुलिस कंप्लेंट क्यों नहीं की गई.
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने मामले की सुनवाई की. अदालत ने अंततः मामले में नोटिस जारी नहीं किया लेकिन याचिकाकर्ताओं से केंद्र सरकार को याचिकाओं की प्रति देने को कहा. मामले की सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी. सुनवाई के दौरान शीर्ष कोर्ट ने खास तौर पर ये टिप्पणियां कीं.
याचिका दायर करने में देरी क्यों की गई?
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट कहा कि याचिका दायर करने में देरी क्यों की गई. CJI ने कहा, 'मैंने रिटों से जो पढ़ा उससे पता चहता है कि पेगासस मामला मई 2019 में सामने आया था. मुझे नहीं पता (क्यों) इस मुद्दे पर कोई गंभीर चिंता नहीं की गई. यह मुद्दा दो साल बाद अचानक क्यों सामने आया.'
एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जवाब दिया कि 'निगरानी की सीमा हमें नहीं पता थी, तो याचिका कैसे दायर की जाती. हमें आज सुबह पता चला कि अदालत के रजिस्ट्रारों के नंबर भी जासूसी वाली सूची में हैं, उनके फोन भी एक्सेस किए गए थे. न्यायपालिका के कुछ सदस्यों का भी नाम था.
याचिकाकर्ताओं ने पुलिस में शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई?
कोर्ट ने ये सवाल भी उठाया कि याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय जाने से पहले आपराधिक कानून के तहत शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई. सीजेआई रमना ने कहा, 'उन्होंने (याचिकाकर्ता) आपराधिक शिकायत दर्ज करने के प्रयास नहीं किए हैं. मेरा सवाल यह है कि अगर आप जानते हैं कि फोन हैक हो गया है तो प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गई.'
वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने जवाब दिया कि 'इस मामले में तथ्य खोज समिति (fact finding committee) से एक अलग जांच की जरूरत है. वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि यह एक ऐसा मुद्दा है जिसमें संवैधानिकता शामिल है न कि केवल आपराधिकता. सीजेआई रमना ने कहा कि उन्होंने रिपोर्ट पढ़ी थी कि पेगासस को इजराइल की कंपनी एनएसओ केवल जांच पड़ताल के बाद सीधे सरकार को बेचती है. उन्होंने दिलचस्प सवाल किया कि इसे राज्य सरकारों को भी बेचा जा सकता था. क्या यह राज्य सरकारों द्वारा भी खरीदा जा सकता है?.'
इस पर सिब्बल ने कहा, 'इसका जवाब भारत सरकार को देना चाहिए, हम सभी जवाब नहीं दे सकते क्योंकि हमारे पास पहुंच नहीं है, ये केवल सरकार के पास है.'