नई दिल्ली : हजारों किसान दिल्ली के तीन अंतरराज्यीय सीमा बिंदुओं पर जमे हुए हैं, उन्होंने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा है. किसानों ने उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के बुराड़ी मैदान में जाकर सरकार की तरफ से मिले प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है.
किसान अपनी मांगों को लेकर मध्य दिल्ली के रामलीला मैदान या जंतर-मंतर पर रैली करने पर अड़े हैं. आखिर किसान अपना विरोध प्रदर्शन बुराड़ी मैदान में जाकर करने को लेकर अनिच्छुक क्यों हैं?
बुराड़ी मैदान को दूसरा नाम निरंकारी मैदान है. यह मध्य दिल्ली से काफी दूर, बाहरी इलाका माना जाता है. यही वजह है कि बुराड़ी मैदान विरोध स्थल के रूप में किसी भी संगठन को कभी पसंद नहीं आया. संगठनों को लगता है कि अगर उन्हें अपनी आवाज सत्ता के प्रभावशाली लोगों तक पहुंचानी है, तो जंतर मंतर या रामलीला मैदान बेहतर विकल्प है.
जंतर मंतर शहर के बीचोबीच स्थित है और संसद से केवल 2 किलोमीटर दूर है और सबकी नजर पर चढ़ने वाला विरोध स्थल है. हालांकि, यहां इतनी जगह नहीं है कि बहुत भारी भीड़ को संभाल ले. दूसरी ओर मध्य दिल्ली में स्थित रामलीला मैदान बहुत बड़ी भीड़ को संभाल सकता है. दोनों की तुलना में बुराड़ी मैदान दिल्ली के सबसे बाहरी किनारे पर स्थित है, इसलिए प्रदर्शनकारियों के पसंदीदा जगहों में शुमार नहीं हो पाया है.
साल 2011 में दिल्ली पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के प्रस्तावित अनशन के लिए दिल्ली के बाहरी इलाके में स्थित बुराड़ी मैदान की पेशकश की थी, जिसे नहीं माना गया. अन्ना को आखिरकार रामलीला मैदान में आंदोलन करने की अनुमति दे दी गई, जहां उन्होंने जन लोकपाल कानून के लिए 13 दिनों तक अनशन किया और उनके हजारों समर्थकों ने धरना दिया.