कोलकाता : पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने निकाय चुनाव (West Bengal municipal elections) में जीत का परचम लहराया. 108 नगरपालिकाओं में से 102 पर जीत हासिल की. बावजूद इसके पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने आश्चर्यजनक रूप से चुप्पी साध रखी है. पार्टी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्विटर संदेश के जरिए पश्चिम बंगाल की जनता को इस जीत के लिए बधाई दी.
ममता की बधाई के लगभग 72 घंटे बीत चुके हैं लेकिन अभिषेक बनर्जी बनर्जी ने नतीजों पर एक भी शब्द नहीं बोला है. अब सवाल यह है कि क्या उनकी चुप्पी मतदान के दिन चुनावी कदाचार, धांधली और चुनाव संबंधी हिंसा के आरोपों का गुप्त समर्थन है. हाल ही में एक टेलीविजन चैनल के साथ साक्षात्कार में अभिषेक बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस में संगठनात्मक ढांचे को पुनर्गठित करने की अपनी योजनाओं के बारे में विस्तार से बात की. उनके विचार-विमर्श का एक बड़ा हिस्सा तृणमूल कांग्रेस के भीतर आंतरिक सुधार लाने पर था.
वह पार्टी के भीतर 'एक व्यक्ति, एक पद' नीति लागू करने के पक्ष में मुखर थे. वह चुनावी कदाचार के बड़े आरोपों और सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा बाहुबल के इस्तेमाल के खिलाफ भी मुखर थे. उनकी स्वतंत्र और स्पष्ट राय ने पार्टी के दिग्गजों के बीच तनाव को हवा दे दी है, यू यूं कहें कि चिंताएं बढ़ा दी हैं. आलोचकों का कहना है कि यह तनाव दरअसल अभिषेक बनर्जी और ममता बनर्जी के बीच था. यह भी माना जा रहा है कि राष्ट्रीय महासचिव के सुधारवादी विचारों का समर्थन स्वयं पार्टी सुप्रीमो ने नहीं किया था. इस घटनाक्रम ने पार्टी के भीतर वरिष्ठ और युवा नेताओं के बीच कहीं न कहीं दरार पैदा कर दी है.