हैदराबाद : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एजिजम (बुजुर्गों के प्रति अनुचित व्यवहार और उम्रवादी दृष्टिकोण) के खिलाफ एक रिपोर्ट जारी की है. इसके अनुसार यह एक अपमानजनक स्थिति है. आप जानबूझकर उन्हें समाज का बोझ मानते हैं. इसलिए इस प्रवृत्ति पर रोक लगाए जाने की जरूरत है. इसका मुकाबला करने के लिए हमें बेहतर उपाय तलाशने की जरूरत है.
दुनिया का हर दूसरा आदमी इस एजिस्ट प्रवृत्ति का शिकार है. यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी स्थिति नहीं है. हमारा नजरिया उनकी जिंदगी की गुणवत्ता को और अधिक खराब कर देता है.
57 देशों के 83,034 लोगों के सर्वे के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया कि दुनिया का हर दूसरा आदमी इस सोच का शिकार है. उसे पूर्वग्रही भी कहें, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.
कोविड महामारी के दौरान भी इसका अमानवीय चेहरा देखने को मिला. कोविड संकट के दौरान बहुत सारी मेडिकल सुविधाओं का आधार उम्र रखा गया था. बुजुर्गों के लिए अलग कैटगरी बना दी गई. अलग रहने की सलाह दी गई. जितने सारे उपाय किए गए, उनमें बुजुर्गों को एक अलग आधार मानकर फैसले लिए गए. यह हम सबकी प्रवृत्ति का द्योतक है.
कहां-कहां इसे देखा गया
स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल केंद्र, कार्यस्थल, मीडिया और कानूनी प्रणाली समेत समाज के कई संस्थानों और क्षेत्रों में एजिज्म की प्रवृत्ति पाई गई.
उम्र के आधार पर अधिकांश स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं.
पिछले साल यह अनुभव किया गया कि कई मेडिकल सुविधाएं सिर्फ आयु के आधार पर ही निर्धारित की गईं. ऐसे कम से कम 149 अध्ययन के रिपोर्ट के आधार पर निष्कर्ष निकाले गए हैं.
कार्यस्थल पर कम उम्र और अधिक उम्र के लोगों के साथ भेदभाव किया जाता है.
विशेष प्रशिक्षण की पहुंच में बाधा.
उम्र के साथ शिक्षा में गिरावट.
रोजगार, स्वास्थ्य, आवास और राजनीति जैसे कई क्षेत्रों में एजिज्म सोच हावी है. यहां पर युवा लोगों की आवाज को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है.
एजिजम के प्रभाव
एजिजम का संबंध शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से है.
सामाजिक अलगाव और अकेलापन जिम्मेवार है.