नई दिल्ली : हाल ही में ईरान ने एक लॉंग रेंज मिसाइल का परीक्षण किया है. यह इजराइल तक आक्रमण करने की क्षमता रखता है. हालांकि, वर्तमान में वह इसका उपयोग करेगा, ऐसा कोई कारण नहीं दिख रहा है. ईरान ने खुद कहा है कि यह मिसाइल उसने अपनी आत्मरक्षा के लिए बनाया है.
पिछले सप्ताह ईरान ने फत्ताह मिसाइल का एक अपग्रेडेड वर्जन फत्ताह 11 लॉंच किया. उसने इसे आशूरा एरोस्पेस साइंस एवं टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी में आयोजित एक प्रदर्शनी के दौरान प्रदर्शित किया. ईरान का दावा है कि इस मिसाइल को बनाने में विदेशी सहयोग नहीं लिया गया है. उसने यह भी कहा कि इसमें ग्लाइड क्षमता है. ईरान के अनुसार आप इसे हाइपर सोनिक ग्लाइड व्हीकल और हाइपर सोनिक क्रूज मिसाइल की श्रेणी में रख सकते हैं. ईरानी मीडिया ने बताया कि इस तरह के हाइपर सोनिक मिसाइल विकसित करने की क्षमता दुनिया के मात्र चार देशों के पास है.
ईरानी रेवोल्यूशन गार्ड कॉर्प्स एरोस्पेस फोर्स ने इस साल की शुरुआत में ही बताया था कि वह इसे स्वदेशी तकनीक के आधार पर विकसित कर रहा है. ईरान के अनुसार इस मिसाइल की रेंज 1700 किमी है. यह मैक 13-15 की स्पीड (ध्वनि की गति से 13 गुना अधिक) से लक्ष्य तक पहुंच सकता है. यह इंटरसेप्ट भी कर सकता है और उसे नष्ट करने की भी क्षमता रखता है.
अब इस विषय पर बहस छिड़ चुकी है कि आखिर ईरान के पास ऐसी क्षमता कहां से आई, या फिर किसी ने चोरी छिपे मदद की है. ईरान मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर) का सदस्य नहीं है. एमटीसीआर का सदस्य भारत है. यह मुख्य रूप से मिसाइल टेक्नोलॉजी के प्रसार को लेकर दिशा निर्देश जारी करता है. कुल 35 देश इसके सदस्य हैं. एमसीटीआर का यह काम है कि वह उन टेक्नोलॉजी के प्रसार पर रोक लगाए, जिसमें 500 किलो से अधिक पेलोड को 300 किमी के अधिक के रेंज तक जाने की क्षमता है. एमसीटीआर का कोई भी सदस्य किसी बाहरी देश को इस तरह की तकनीक प्रदान नहीं कर सकता है. आम तौर पर यहां पर आम सहमति के आधार पर ही फैसला लिया जाता है.
इससे पहले ईरान के पास कभी भी ऐसा मिसाइल नहीं रहा है, जिसकी क्षमता 300 किमी से अधिक हो. अनुमान लगाया जा रहा है कि ईरान ने इसे अपने करीबी देश से हासिल किया होगा. यह तकनीक इस समय अमेरिका, रूस और चीन के पास है. रूस के पास एवांगाडे एचजीवी (जरकॉन) है. यह एक अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम है, जिसे शिप और मिसाइल से छोड़ा जा सकता है. इसे परमाणु हथियार से लैस किया जा सकता है.
चीन के पास डीएफ-17 मिसाइल सिस्टम है. यह एक मिडिल रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है. इसके जरिए हाइपर सोनिक ग्लाइड व्हीकल लॉंच किया जा सकता है. यह एक अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल है, जिसे मॉडिफाइ किया जा सकता है और यह न्यूक्लियर हथियार को ले जा सकता है. चीन ने दो हाइपर सोनिक हथियार का परीक्षण किया है. सबसे इंटेरेस्टिंग बात यह है कि इन दोनों देशों की तुलना में अमेरिका पीछे है.