नई दिल्ली:विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंगलवार को 2022 में 93 प्रतिशत डीपीटी3 कवरेज दर्ज करने के लिए भारत की सराहना की, जो 2019 में महामारी से पहले के उच्चतम 91 प्रतिशत को पार कर गया और 2021 में दर्ज 85 प्रतिशत से तेजी से वृद्धि हुई. डिप्थीरिया, पर्टुसिस और टेटनस (DPT3) टीकों की तीसरी खुराक का उपयोग विश्व स्तर पर टीकाकरण दरों का आकलन करने के लिए किया जाता है.
साल 2022 के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण कवरेज का डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ का अनुमान यह दर्शाता है कि डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में डीपीटी3, डिप्थीरिया, पर्टुसिस और टेटनस टीकों की तीसरी खुराक के लिए कवरेज दर, जिसका उपयोग वैश्विक स्तर पर टीकाकरण दरों का आकलन करने के लिए किया जाता है, महामारी से पहले 91 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो 2021 में दर्ज 82 प्रतिशत से तेज वृद्धि है.
क्षेत्र ने 2021 की तुलना में 2022 में खसरा युक्त टीके के कवरेज में 6 प्रतिशत का सुधार दिखाया है, जो 86 प्रतिशत से बढ़कर 92 प्रतिशत हो गया है. डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि प्रत्येक बच्चा नियमित टीकाकरण टीकों से जानलेवा बीमारियों से सुरक्षित रहने का हकदार है. प्रभावशाली प्रयासों और टीकाकरण सेवा की पुनर्प्राप्ति से बनी गति प्रत्येक बच्चे को स्वस्थ और उत्पादक जीवन के लिए लाभान्वित करती रहनी चाहिए.
शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या, जिन्हें डीपीटी वैक्सीन की पहली खुराक भी नहीं मिली है, 2021 में 4.6 मिलियन से आधी होकर 2022 में 2.3 मिलियन हो गई है. इसी तरह, आंशिक रूप से टीकाकरण वाले बच्चों की संख्या, जिन्हें डीपीटी वैक्सीन की कम से कम एक खुराक मिली थी, लेकिन 3 खुराक की प्राथमिक श्रृंखला पूरी नहीं हुई थी, 2021 में 1.3 मिलियन से घटकर 2022 में 650,000 हो गई, जो कि 50 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है.