नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) नेशनल पार्टी बनी है कि नहीं, इस पर सस्पेंस बढ़ गया है. गुजरात में AAP को करीब 13 फीसदी वोट मिला था. इसके बाद से माना जा रहा था कि उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला गया है, लेकिन बुधवार को चुनाव आयोग के बयान ने सबको चौंका दिया. आयोग ने साफ कहा कि अभी इस मामले की समीक्षा की जा रही है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव के ऐलान के दौरान मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि समीक्षा पूरी होने के बाद जल्द ही इस संबंध में जानकारी साझा की जाएगी.
गुजरात में चुनाव के बाद किया था दावाः आम आदमी पार्टी दिल्ली और पंजाब में प्रचंड बहुमत की सरकार बना चुकी है. AAP की दिल्ली में दूसरी बार प्रचंड बहुमत की सरकार है, जबकि पंजाब में पहली बार. दिल्ली में हुए 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में AAP ने विपक्ष का लगभग सफाया कर दिया था. इसी तरह पंजाब में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भी विपक्ष का सफाया करते हुए कुल 117 में से 92 सीटें जीत ली थीं.
यह भी पढ़ेंः जहांगीरपुरीः शोभा यात्रा की परमिशन ना होने के बावजूद हिंदू संगठन यात्रा निकालने पर अड़े
गुजरात में दिसंबर में हुए विधानसभा चुनावों में भी AAP ने अच्छा प्रदर्शन किया था. गुजरात चुनाव में उसको करीब 13 प्रतिशत वोट मिले थे. साथ ही इसने पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी. गुजरात विधानसभा चुनावों का परिणाम आने के दौरान आप संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय पार्टी बनने का दावा किया था. इससे पहले हुए गोवा विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने दो सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि, 6.77 प्रतिशत वोट हासिल किए थे.
इन राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी है AAP: 26 नवंबर 2012 को गठित हुई आम आदमी पार्टी मौजूदा समय में दिल्ली, पंजाब, गोवा और गुजरात में क्षेत्रीय पार्टी के रूप में पंजीकृत है. इन राज्यों में पार्टी के पास अपना स्थायी चुनाव चिह्न झाड़ू है.
राष्ट्रीय पार्टी बनने के क्या हैं नियमः चुनावी प्रक्रिया के विशेषज्ञों के अनुसार, किसी भी राजनीतिक दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए लोकसभा चुनाव में चार सीटें जीतने के साथ ही छह प्रतिशत वोट भी हासिल करने होते हैं. या फिर चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में कुल छह प्रतिशत या इससे अधिक मत प्रतिशत प्राप्त करे. इन नियमों के अनुसार, आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी बनने की शर्तों को तो पूरा करती है, लेकिन राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा चुनाव आयोग अपनी समीक्षा के अनुसार सभी मानदंडों की जांच करने के बाद ही देता है. विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि अगर कोई पार्टी बाद में इन मानदंडों के दायरे से बाहर हो जाती है तो राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस भी ले लिया जाता है.
यह भी पढ़ेंः Delhi Govt School: 17 अप्रैल से नौवीं और 11वीं क्लास की कम्पार्टमेंट परीक्षा, देखें शेड्यूल