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सरकार के पास 'स्वदेशी' को बढ़ाने का क्या है एक्शन प्लान ? - स्वदेशी को बढ़ावा

कोविड की वजह से आर्थिक गतिविधि पूरी तरह से चरमरा गई है. ऐसे में अर्थव्यवस्था पटरी पर फिर से लौटे, जरूरी है कि देसी उद्योगों को सरकार की मदद मिले. मदद पैकेज के रूप में भी हो सकती है और नीतियों के जरिए भी उन्हें संरक्षण दिया जा सकता है. क्या मोदी सरकार के पास इसकी कोई योजना है, एक विश्लेषण.

pm modi
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Published : Dec 29, 2020, 10:30 PM IST

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है भारत आत्मनिर्भर बने. वह चाहते हैं कि कोविड संकट के बाद निर्माण के क्षेत्र में भारत सुपर पावर के तौर पर उभरे. इसलिए उन्होंने 'मन की बात' कार्यक्रम में 'आत्मनिर्भर भारत' के संकल्प को फिर से दोहराया है. पीएम ने सभी देशवासियों से नए साल पर संकल्प लेने को कहा है कि वे देशी उत्पाद की खरीद को बढ़ावा जरूर देंगे.

उन्होंने भारतीय उद्योगपतियों और विनिर्माणकर्ताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर के पैमाने को पूरा करने की सलाह दी है. इन सपनों को पूरा करने के लिए पीएम ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को भी अहम भूमिका निभाने की अपील की. कोरोना वायरस के बाद जो नई परिस्थितियां उभरी हैं, हर भारतीय इन सपनों को पूरा करने के लिए तैयार है. वे चाहते हैं कि भारत में बने सामानों को खरीदकर यहां के उद्योगों में जान डालें. लेकिन यह सरकार की भी जवाबदेही है कि ये उत्पाद हर भारतीय तक उचित दाम में उपलब्ध हो.

सरकार करेगी पूरी मदद

छोटे संस्थानों का कहना है कि उन्हें अग्रिम भुगतान करने पर ही कच्चा माल मिल पाता है. ऊपर से परिवहन की लागत अलग से लगती है. इन्हें सरकार से आर्थिक सहायता का इंतजार है. उद्योगों में जान तभी डाली जा सकती है, जब छोटे उद्योगों को सरकार वित्तीय सहायता उपलब्ध कराए. इसी साल फरवरी में टेलीविजन और महंगे फर्नीचर के आयात पर पाबंदियां लगाने का प्रस्ताव आया था. ये सब अत्यावश्यक वस्तुओं की सूची में शामिल नहीं हैं. इस कदम से स्वदेशी को बढ़ावा मिलता. सरकार ने केंद्रीय कल्याण भंडार स्टोर से 1000 विदेशी उत्पादों को सूची से बाहर कर दिया.

इलेक्ट्रॉनिक उद्योग होगा दोगुना

आंकड़े बताते हैं कि देश के एक साल का घरेलू खर्च करीब 42 लाख करोड़ होता है. कोरोना की वजह से विकास दर प्रभावित अवश्य हुआ है. 2025 तक इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों का उत्पाद (करीब डेढ़ लाख करोड़) दोगुना हो जाएगा. केंद्र सरकार के वाणिज्य विभाग के अनुसार 2019 में 12 लाख करोड़ का व्यापारिक असंतुलन देखा गया. निर्यात से अधिक आयात करना पड़ा. जाहिर है, अगर ऐसी नीति बनाई जाती है, जहां देसी उत्पदाों की मांग बढ़े, तो निश्चित तौर पर विदेशों पर हमारी निर्भरता घटेगी.

युवा आबादी देश की ताकत

हमारी युवा आबादी देश की ताकत है. जब चीन और जापान के साथ तुलना की जाती है, तो भारतीयों की औसत आयु कहीं कम होती है. औसत भारतीय 28 साल का है. आंकड़े बताते हैं कि 64 फीसदी आबादी इसी ग्रुप में है, जो काम करने में सक्षम है. वैसी व्यवस्था जो बेरोजगारी बढ़ाती है, उसे हर हाल में खत्म करनी चाहिए. समय की मांग है कि मजदूरों की दक्षता बढ़े. भारतीय उत्पादों को बेहतर मांग तभी मिलेगी, जब हमलोग दूरदर्शी नीति अपनाएंगे.

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