नई दिल्ली : 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख अमृपाल सिंह को लेकर अभी तक यह साफ नहीं हो पाई है कि वह भारत में है या भारत से बाहर चला गया है. दो दिन पहले पंजाब पुलिस अमृतपाल सिंह का पीछा कर रही थी, लेकिन अचानक ही वह पुलिस की नजर से ओझल हो गया, इस पर भी सस्पेंस बना हुआ है. अमृतपाल के एक करीबी ने दावा किया था कि वह पुलिस की गिरफ्त में है, हालांकि, पुलिस ने इसका खंडन कर दिया. अमृतपाल के करीबी ने रविवार को हाईकोर्ट में एक रिट दाखिल की है. कोर्ट ने इस पर पंजाब सरकार से जवाब भी मांगा है.
आईजीपी पंजाब, सुखचैन सिंह गिल, ने कहा कि पूरे राज्य में शांति है, स्थिति काबू में है. उन्होंने कहा कि वारिस पंजाब दे के कुछ सदस्यों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की गई है. उनके चार सदस्यों को असम भेजा गया है. ये हैं दलजीत कलसी, बसंत सिंह, गुरमीत सिंह और भगवंत सिंह. इसके अलावा अमृतपाल सिंह के चाचा हरजीत सिंह को भी डिब्रूगढ़ भेज दिया गया है. पुलिस ने बताया कि सभी के खिलाफ एनएसए लगाया गया है.
इस बीच ब्रिटेन से भी कुछ ऐसी खबरें आईं हैं, जिसे इस पूरी घटना से जोड़ा जा रहा है. लंदन में भारतीय दूतावास पर कुछ खालिस्तानी समर्थकों ने तिरंगा को हटाकर खालिस्तानी झंडा फहराने की कोशिश की. इस घटना पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया भी व्यक्त की. ब्रिटिश हाईकमिश्नर के सामने भारत ने नाराजगी जाहिर की. ब्रिटिश अधिकारियों ने कार्रवाई की बात कही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि ब्रिटेन के लोकल अधिकारियों की यह जिम्मेदारी थी कि दूतावास की सुरक्षा करे, लेकिन समय रहते उन्होंने कड़ी कार्रवाई नहीं की. थरूर ने कहा कि मुझे लगता है कि ब्रिटिश अधिकारियों ने जानबूझकर इस नॉनसेंस को होने दिया, यह भारत के लिए अपमानजनक है और हमें इसे बर्दाश्त नहीं करना चाहिए.
जहां तक अमृतपाल का सवाल है, तो आधिकारिक रूप से कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है. हालांकि, पंजाब के मंत्री बलबीर सिंह ने कहा कि अमृतपाल सिंह की जब भी गिरफ्तारी की जाएगी, तो डीजीपी इसकी सूचना आपको देंगे. उन्होंने कहा कि पुलिस अपना काम अच्छे से कर रही है, इसलिए मैं लोगों से अपील करता हूं कि वे शांति और भाईचारा बनाए रखें. लोगों में भ्रम न फैले, इसलिए पंजाब प्रशासन ने इंटरनेट पर पाबंदी एक और दिन के लिए बढ़ा दी है.
पर, सबसे बड़ा सवाल यह है कि अमृतपाल आखिर कहां गायब हो गया. क्या वह जालंधर में है या फिर किसी और इलाके में. पुलिस ने उसके गांव को छावनी तब्दली कर दिया है. पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर को भी अलर्ट जारी किया गया है. सीमाई इलाकों पर विशेष नजर है. पुलिस ने बताया है कि पूरे मामले में अब तक 114 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. रविवार रात में अमृतपाल के चाचा हरजीत सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया. उसके ड्राइवर को भी पुलिस ने अपनी गिरफ्त में लिया है.
रविवार रात को ही अमृतपाल के वकील ने एक याचिका दाखिल की है. यह हैबियस कॉर्पस है. इसे बंदी प्रत्यक्षीकरण कहते हैं. अनुच्छेद 22 के तहत इसे दाखिल किया जा सकता है. अगर किसी भी व्यक्ति को गैर कानूनी तरीके से हिरासत में रखा जाता है, तो वह व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट या फिर हाईकोर्ट में यह रिट दाखिल कर सकता है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से जवाब मांगा है. 21 मार्च को अगली सुनवाई होगी.
एक दिन पहले पुलिस ने मीडिया को बताया था कि अमृतपाल के ठिकाने से 'एकेएफ' नाम से कुछ जैकेट मिले हैं. एकेएफ यानी आनंदपुर खालसा फोर्स. पुलिस ने शक जाहिर किया है कि यह सबकुछ पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की शह पर किया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि अमृतपाल के सहयोगी कलसी की अक्सर पाकिस्तान में बैठे आकाओं से बातचीत होती है. इसका सबूत पुलिस के पास है. पुलिस ने यह भी बताया कि कलसी ने 30 करोड़ से ज्यादा की राशि वहां से हासिल की है, ताकि वह विध्वंसक कार्रवाई कर सके. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो अमृतपाल ने पाकिस्तान से हथियार भी मंगवाए हैं. पुलिस के मुताबिक अमृतपाल और आईएसआई के बीच संपर्क है. कहा ये भी जा रहा है कि उसका बब्बर खालसा इंटरनेशनल से भी लिंक हो सकता है.
बब्बर खालसा इंटरनेशनल का गठन 1980 में हुआ था. मुख्य रूप से यह पाकिस्तान, कनाडा और ब्रिटेन में एक्टिव है. कभी कभार जर्मनी में भी इसके समर्थक देखे गए हैं. पंजाब पुलिस ने बताया है कि पिछले 10 सालों से अमृतपाल दुबई में रह रहा था और सबको पता है कि दुबई में आईएसआई का कितना प्रभाव है. बीकेआई का हेड परमजीत सिंह पम्मा है. पम्मा के सहयोगी अवतार सिंह और अमृतपाल के बीच गहरे रिश्ते भी बताए जा रहे हैं. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का एक बयान सिंतबर 2022 में आया था. तब उन्होंने कहा था कि अमृतपाल को किसी खास मकसद से पंजाब लाया गया है. दो दिन पहले शनिवार को यह खबर आई थी कि पुलिस ने अमृतपाल को पकड़ लिया है, लेकिन तुरंत ही पुलिस ने इसका खंडन कर दिया. यह सारी घटनाएं बता रहीं हैं कि कुछ न कुछ गड़बड़ तो जरूर है, पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है.
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