देहरादून (उत्तराखंड):संसद की सुरक्षा में सेंधमारी को लेकर 13 दिसंबर 2023 का दिन देश के इतिहास में दर्ज हो गया है. लेकिन यह पहली मर्तबा नहीं है, जब संसद की सुरक्षा दांव पर लगी हो. करीब 22 साल पहले संसद में आतंकवादी घटना को अंजाम दिया गया. आतंकवादी संसद परिसर में घुसने में कामयाब भी हो गए थे. हालांकि, इससे भी चौंकाने वाली घटना आज से ठीक 29 साल पहले हुई थी. क्योंकि, तब संसद में जो लोग घुसे थे, वो एक अलग राज्य के गठन की मांग को संसद तक पहुंचाने के इरादे से ये हिमाकत कर बैठे थे.
24 अगस्त 1994 को संसद में घुसे थे उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारीःआज जब 13 दिसंबर की घटना ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया है, तब 29 साल पहले का वो दिन उत्तराखंड के लोगों को फिर याद आने लगा है. यह दिन 24 अगस्त 1994 का था. जब संसद में दो युवक 13 दिसंबर की तरह ही दर्शक दीर्घा में पहुंच गए थे. इनमें पहला नाम मोहन पाठकका था तो दूसरा नाम मनमोहन तिवारी का था. बताया जाता है कि उनके कुछ दूसरे साथी भी संसद में गए थे, लेकिन ये दो युवा राज्य आंदोलनकारी ही दर्शक दीर्घा तक पहुंच सके. इसके बाद उन्होंने जो कदम उठाया, उसकी चर्चा पूरे देश में होने लगी थी.
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संसद में घुसे थे मनमोहन तिवारी और मोहन पाठक: दरअसल, संसद में घुसे मनमोहन तिवारी और मोहन पाठक ने संसद के दर्शक दीर्घा से नारेबाजी शुरू कर दी थी. यह नारेबाजी उत्तर प्रदेश से पहाड़ी क्षेत्र को अलग करते हुए एक नए राज्य के गठन से जुड़ी थी. बताया जाता है कि मोहन पाठक ने दर्शक दीर्घा के चेंबर से छलांग लगाते हुए 13 दिसंबर को हुई घटना की तरह ही सांसदों के बीच जाकर नारेबाजी शुरू कर दी थी.