कोलकाता : यह सच है कि पश्चिम बंगाल में सत्ता पर काबिज राजनीतिक ताकतों ने अपनी राजनीतिक विचारधाराओं के आधार पर पाठ्यक्रम को प्रभावित करने की कोशिशें की हैं. पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का शासन आने के बाद भूमि आंदोलन पर एक अलग अध्याय, 34 वर्षीय वाम मोर्चा शासन का अंत जैसे विषयों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया गया.
शिक्षाविद् पाबित्रा सरकार के अनुसार वाम मोर्चे के शासन के दौरान स्कूल सिलेबस पर प्रभाव तब तक दिखाई नहीं दिया था जब तक कि राष्ट्रीय या विश्व स्तर पर वामपंथी आंदोलनों के अलग-अलग अध्याय नहीं आए थे. हालांकि, वाम शासन ने शुरू के कुछ वर्षों तक छात्रों के पाठ्यक्रम में अंग्रेजी विषय को शामिल न करने की आलोचना की थी. बाद में अंग्रेजी को दूसरी भाषा के रूप में शामिल किया. इसके बाद में तीसरी कक्षा से अंग्रेजी शुरू कर दी गई. लेकिन तृणमूल कांग्रेस के शासनकाल में सिंगूर में भूमि आंदोलन को स्कूली पाठ्यक्रम में एक अलग अध्याय के रूप में शामिल किया गया.
हो सकता है पाठ्यक्रम में बदलाव
सरकार ने कहा कि अब अगर भाजपा सत्ता में आती है, तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि हिंदू पौराणिक कथाओं के विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सकता है. उनके अनुसार बीजेपी ने 2001 में पहली बार पाठ्यक्रम को प्रभावित करने की कोशिश की थी जब केंद्र में गठबंधन सरकार थी. उस समय यूजीसी ने कॉलेज स्तर के पाठ्यक्रम में वैदिक गणित जैसे विषय को शामिल करने की कोशिश की थी.
व्यापक विरोध के कारण यह सफल नहीं हुआ. अब एम्स में योग पर अनुसंधान किया जा रहा है. इसलिए यदि पश्चिम बंगाल में भाजपा सत्ता में आती है, तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि ऐसे विषयों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा और हिंदी व संस्कृत पर अधिक ध्यान दिया जाएगा.
तृणमूल ने किया पाठ्यक्रम में बदलाव
शिक्षाविद अविक मजूमदार ने स्कूली पाठ्यक्रम में सिंगूर भूमि आंदोलन को शामिल करने का विरोध करने वालों की आलोचना की. कहा कि सिंगूर में भूमि आंदोलन को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मान्यता दी गई है. यह स्थापित किया गया है कि जिस कानून के तहत वाम मोर्चा सरकार ने सिंगुर में भूमि अधिग्रहण किया था वह ब्रिटिश काल का पुरातन कानून था. इसलिए जो लोग सिंगूर में भूमि आंदोलन के अध्याय की आलोचना कर रहे हैं, वे वास्तव में ब्रिटिश समर्थक हैं और भारत के सर्वोच्च न्यायालय पर उनका कोई विश्वास नहीं है.
कहा कि अब अगर बीजेपी सत्ता में आती है, तो कोरोना वायरस से बचाव के लिए गोमूत्र के इस्तेमाल को बढ़ावा दे सकती है. भाजपा शासित राज्यों में शिक्षा प्रणाली पहले ही बर्बाद हो चुकी है. इसलिए मुझे व्यक्तिगत रूप से विश्वास है कि पश्चिम बंगाल के लोग इस बार राज्य में भाजपा को सत्ता में लाने की गलती करेंगे.
पहले पांच वर्ष में कोई बदलाव नहीं
हालांकि, शिक्षाविद और पूर्ववर्ती प्रेसीडेंसी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. अमल कुमार मुखोपाध्याय ने कहा कि अगर भाजपा सत्ता में आती है, तो वे पहले पांच साल तक पाठ्यक्रम में बदलाव का कोई प्रयास नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी सत्ता में आती है तो भी इस बात की संभावना नहीं है कि उनके पास प्रचंड बहुमत होगा. इसके अलावा संयुक्त मोर्चा और तृणमूल कांग्रेस दो विपक्षी दल होंगे.
इसलिए यह संभावना नहीं है कि पहले पांच वर्षों में बीजेपी द्वारा पाठ्यक्रम को बदलने का कोई प्रयास किया जाएगा. इसके बजाय वे स्कूल के पाठ्यक्रम को प्रभावित करने में तृणमूल ने जो किया उसके ठीक विपरीत करेंगे. पहले पांच वर्षों के लिए भाजपा का मुख्य उद्देश्य अपनी लोकप्रियता बढ़ाना और किए गए वादों को पूरा करने पर होगी.
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हालांकि, यह अनिश्चित है कि पांच साल बाद क्या होगा. बीजेपी पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वे पश्चिम बंगाल में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पेश करेंगे.