लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा में जब सदन की कार्यवाही शुरू होती है तो दिवंगत विधानसभा सदस्यों को श्रद्धांजलि देने को लेकर शोक प्रस्ताव पढ़ा जाता है. कार्यवाही के दौरान विधानसभा अध्यक्ष, नेता सदन, नेता प्रतिपक्ष, संसदीय कार्य मंत्री सहित अन्य नेताओं की तरफ से शोक प्रस्ताव पर अपने विचार करते हुए दिवंगत विधानसभा सदस्यों को श्रद्धांजलि दिए जाने की परंपरा रही है. पूर्व विधानसभा सदस्य के निधन की सूचना पर भी शोक प्रस्ताव सदन की कार्यवाही के दौरान पढ़ा जाता है. ऐसे में अब यह चर्चा हो रही है कि आखिर अगले विधानसभा सत्र की सदन की कार्यवाही के दौरान क्या माफिया अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ को श्रद्धांजलि दी जाएगी या नहीं. 15 अप्रैल की शाम प्रयागराज में मेडिकल के लिए ले जाते समय दोनों माफियाओं की हत्या कर दी गई थी. माफिया अतीक और उसका भाई अशरफ दोनों विधानसभा के पूर्व सदस्य रहे हैं. अतीक पांच बार और उसका भाई अशरफ एक बार विधानसभा सदस्य रहा है.
शोक प्रस्ताव पढ़ने की परंपरा है नियम नहींःइस विषय पर ईटीवी भारत ने विधानसभा सदन की कार्यवाही के दौरान दिवंगत विधानसभा सदस्य या पूर्व सदस्यों को श्रद्धांजलि देने के बारे में जानकारी करने की कोशिश की. उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित कहते हैं कि सदन की कार्यवाही के दौरान दिवंगत हुए पूर्व सदस्य या वर्तमान सदस्य के भी दिवंगत होने पर शोक प्रस्ताव पढ़ते हुए उन्हें श्रद्धांजलि देने की परंपरा रही है. माफिया अतीक अहमद व उसके भाई अशरफ अहमद कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिए हैं. ऐसे में क्या इन दोनों पूर्व विधानसभा सदस्यों के रूप में विधानसभा सदन की कार्यवाही के दौरान श्रद्धांजलि दिए जाने की परंपरा का निर्वहन किया जाएगा या नहीं इस पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित कहते हैं कि यह कोई नियम नहीं है यह एक परंपरा रही है. अब जब सदन की कार्यवाही शुरू होगी तो इसके बारे में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को फैसला करना है. तात्कालिक रूप से आने वाले विषयों के बारे में सदन की कार्यवाही से पहले एजेंडे पर चर्चा होती है और उसी दौरान सर्वदलीय बैठक आदि में इस तरह के विषयों पर चर्चा कर के फैसले किए जाते हैं.