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केरल में थरूर के साहसिक राजनीतिक कदम के क्या हैं मायने? - Shashi Tharoors bold political move

तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर के हाल के मालाबार दौरे से कांग्रेस में विवाद गहरा गया है. राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने थरूर का नाम लिए बिना कहा था कि पार्टी में किसी भी तरह की गुटबाजी या समानांतर गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जाएगी और इस तरह के कदमों से गंभीरता से निपटा जाएगा. कुल मिलाकर थरूर के साहसिक राजनीतिक कदम (Shashi Tharoors bold political move) के क्या मायने हैं जानते हैं ईटीवी भारत के तिरुवनंतपुरम ब्यूरोचीफ बीजू गोपीनाथ की इस रिपोर्ट में.

Shashi Tharoors bold political move
सांसद शशि थरूर

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Published : Nov 26, 2022, 10:54 PM IST

तिरुवनंतपुरम:सांसद शशि थरूर (MP Shashi Tharoor ) केरल के दौरे पर हैं, जिससे कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं का विश्वास डगमगा रहा है वहीं, संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (United Democratic Front) के घटक दलों के बीच आशा की एक नई किरण है. वह उनका स्वागत करने से नहीं कतरा रहे हैं, इसका दिखावा भी कर रहे हैं. कई लोगों का मानना ​​है कि शशि थरूर उस जादू को फिर से दोहरा सकते हैं जो नवीन पटनायक ने ओडिशा में किया था.

विपक्ष के नेता वीडी सतीशन (V D Satheeshan) थरूर के स्वागत से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. सतीशन ने केरल में थरूर के दौरे के खिलाफ अपनी आलोचना में स्पष्ट रूप से कहा था कि किसी को भी पार्टी के अनुशासन का उल्लंघन नहीं करना चाहिए. हालांकि, थरूर के खिलाफ अपने रुख में उन्हें कोई खुला समर्थन नहीं मिला, इसके विपरीत, थरूर को व्यापक स्वीकृति दी गई, दोनों कैडर के बीच और यहां तक ​​कि यूडीएफ के प्रमुख घटकों के बीच भी.

वीडी सतीशन जैसों को सबसे ज्यादा चिंता आईयूएमएल द्वारा थरूर के जोरदार स्वागत से हुई. IUML के नेताओं ने थरूर को IUML के धार्मिक और राजनीतिक मुख्यालय पनाकड़ में आमंत्रित किया और उन्हें एक शानदार दावत दी. यूडीएफ नीतियों का एक अन्य प्रमुख समर्थक चर्च भी थरूर के स्वागत में खुश था. यूडीएफ घटक जो लगातार 10 वर्षों से सत्ता से बाहर होने के कारण चिंतित है. वह यूडीएफ को केरल में सत्ता में वापस लाने के लिए एक जीवंत नेतृत्व चाहते हैं और वे थरूर के पीछे रैली करने को तैयार हैं.

कई कार्यक्रमों में करेंगे शिरकत :कांग्रेस के कुछ नेताओं के विरोध से भी थरूर बेफिक्र हैं और खुले में इसका मुकाबला करने को तैयार हैं. वह अब वीडी सतीशन को मात देने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने अपने दौरे के लिए सतीशन के निर्वाचन क्षेत्र का चयन किया था. स्टेट प्रोफेशनल कांग्रेस (State Professional Congress) द्वारा कोच्चि में आयोजित कार्यक्रम में थरूर मुख्य अतिथि होंगे. 3 दिसंबर को थरूर यूथ कांग्रेस द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भी शिरकत करेंगे.

अपने पूरे दौरे के दौरान थरूर ने दोहराया कि अब वह जो कुछ कर रहे हैं वह पार्टी और उसके कार्यकर्ताओं के लिए है. वह अपने दौरे के दौरान उन जगहों का चयन करने में भी सावधानी बरतते हैं, जहां वह जाना चाहते हैं. उन्होंने जेल में तिरुवनंतपुरम निगम मेयर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किए गए कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मुलाकात की. यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शफी परम्बिल उनसे मिलने नहीं आ रहे हैं और इसके बजाय कतर में विश्व कप मैचों का लुत्फ उठा रहे हैं.

केसी वेणुगोपाल की जगह लेना चाहते हैं थरूर! : राज्य कांग्रेस नेतृत्व और कैडरों को आम तौर पर केसी वेणुगोपाल के खिलाफ शिकायत है. उन पर राहुल गांधी के प्रभाव का उपयोग करके केरल में अपनी पसंद और नापसंद को थोपने की कोशिश करने का आरोप है. वे यह भी मानते हैं कि केसी वेणुगोपाल ही थे जिन्होंने थरूर के दो बार संसद सदस्य होने के बावजूद संसद में कोई महत्वपूर्ण पद हासिल करने के खिलाफ काम किया था. जब कांग्रेस 2019 के चुनावों के बाद विपक्ष में बैठी थी तो कई लोगों ने उम्मीद की थी कि थरूर संसदीय दल के नेता बनेंगे.

जब थरूर जैसे अच्छे वक्ता से सदन में पार्टी का नेतृत्व करने की उम्मीद की जाती थी, तो थरूर के ऊपर अधीर रंजन चौधरी जैसे अपेक्षाकृत महत्वहीन नेता को चुना गया था. केरल में, थरूर के पास पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति में एक पद भी नहीं है.

G-23 नेताओं में थरूर एक प्रमुख चेहरा थे. उनकी राय थी कि केसी वेणुगोपाल की संगठनात्मक कौशल की कमी और हिंदी क्षेत्र के बारे में ज्ञान की कमी राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के कारणों में से एक थी.

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव की बात की जाए तो थरूर को उम्मीद थी कि जब अशोक गहलोत दौड़ से हटेंगे तो पार्टी नेतृत्व उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनने के लिए समर्थन देगा. हालांकि, उन्हें वहां भी दरकिनार कर दिया गया. लेकिन जब थरूर मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ इस मुकाबले में 1072 वोट हासिल करने में कामयाब रहे, तो केसी वेणुगोपाल को बड़ा झटका लगा. यह वह क्षण है, जब थरूर ने यह जानते हुए कि केसी वेणुगोपाल पार्टी में उनके उदय के खिलाफ काम कर रहे हैं, वह कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते.

केसी वेणुगोपाल ने वीडी सतीशन का इस्तेमाल थरूर के प्रयासों को कुचलने के लिए किया, लेकिन वह उलटा पड़ गया और सतीशन पहले दौर में ही बाहर हो गए. थरूर ने अपने सावधानीपूर्वक नियोजित राजनीतिक दौरे को जारी रखा. यूडीएफ के असंतुष्ट, सत्ता-प्रेमी घटकों और पार्टी कैडर के साथ तालमेल किया, जो केरल में पार्टी के नेतृत्व के तरीके में बदलाव देखना पसंद करते हैं.

आईयूएमएल ने किया था थरूर का स्वागत :थरूर विरोधी गुट को जिस बात ने सबसे ज्यादा झटका दिया, वह आईयूएमएल द्वारा थरूर का किया गया स्वागत है. कांग्रेस ने आईयूएमएल द्वारा थरूर की मेजबानी का विरोध किया था, लेकिन यूडीएफ की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी ने कांग्रेस नेतृत्व के विरोध को दरकिनार करते हुए थरूर का स्वागत किया. राष्ट्रीय स्तर पर थरूर का ठीक से उपयोग नहीं करने के लिए लीग को हमेशा कांग्रेस के खिलाफ शिकायत थी, क्योंकि वह अपने मजबूत भाजपा विरोधी रुख के लिए जाने जाते हैं.

पाला बिशप भी थरूर से मिलने के लिए राजी हो गए हैं. वह कान्हीरापल्ली बिशप से भी मिलेंगे और कोझिकोड में अपने दौरे के दौरान पहले ही थमारसेरी बिशप से मिल चुके हैं. थमारसेरी बिशप ने खुले तौर पर अपनी राय व्यक्त की कि थरूर का पार्टी नेतृत्व में उत्थान कांग्रेस के लिए फायदेमंद होगा.

जब चर्च खुले तौर पर अपना समर्थन व्यक्त करते हैं, तो यूडीएफ की एक अन्य सहयोगी केरल कांग्रेस (जे) थरूर का समर्थन करने से दूर नहीं रह सकती. कांग्रेस को एक और झटका तब लगा जब एक पारंपरिक यूडीएफ समर्थन संगठन नायर सर्विस सोसाइटी (एनएसएस) ने मन्नम मेमोरियल समारोह के अवसर पर मंच साझा करने के लिए थरूर का स्वागत किया. यह ऐसे समय में अधिक प्रासंगिक है जब एनएसएस के महासचिव सुकुमारन नायर ने हाल ही में अपने निर्वाचन क्षेत्र में विपक्षी नेता वीडी सतीशन की कठोर शब्दों में आलोचना की थी.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मत है कि यदि थरूर को केरल में कांग्रेस के नेतृत्व का पद सौंपा जाता है, तो इससे पार्टी के लिए एक जादुई परिवर्तन लाने की उम्मीद है. युवा, छात्र और पेशेवर, जो या तो पार्टी के कार्यकर्ता हैं या हमदर्द हैं, उनके पीछे जुट जाएंगे.

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