पटना : नीतीश कुमार के नेतृत्व में सात दलों के महागठबंधन की सरकार बुधवार को बिहार की सत्ता संभालेगी. नीतीश ने मंगलवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से अलग होने की घोषणा की थी. इस संबंध में प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं देख रहा हूं कि बिहार में 2013-14 के बाद से राजनीतिक अस्थिरता का दौर चल रहा है यह घटना क्रम भी उसी संदर्भ में एक और घटना है. 2013-14 के बाद से बिहार में सरकार बनाने का यह छठा प्रयास है. जब किसी की राजनीतिक या प्रशासनिक अपेक्षाएं पूरी नहीं होती हैं तो संरचनाएं बदल जाती हैं. प्रशांत किशोर कहते हैं कि बिहार के लिए पिछले 12-13 साल का दौर राजनीतिक अस्थिरता का दौर रहा है.
साल 2012-2013 से बिहार में जो राजनीतिक अस्थिरता शुरू हुई है, वह थमने का नाम नहीं ले रही है. पिछले 10 साल में यह बिहार में यह छठवीं सरकार है, जो शपथ लेने जा रही है. उन्होंने कहा कि इस राजनीतिक बदहाली के दौर में बिहार में केवल दो चीजें ही स्थिर रही हैं, उनमें से एक हैं नीतीश कुमार, जो किसी भी तरह की सरकार रही हो ,उसमें वो मुख्यमंत्री रहे हैं. दूसरी चीज है बिहार की बदहाली, इसमें कोई परिवर्तन नहीं आया है. इसके लिए हम सब लोग दोषी हैं. क्योंकि कुछ दिन तक मैं भी इसमें भागिदार रहा हूं. उन्होंने कहा कि वो पिछले तीन महीने से बिहार में हैं. रोज लोगों से मिलते-जुलते हैं, यात्राएं करते हैं. लेकिन इस दौरान पिछली सरकार को लेकर सुशासन वाली बात उन्हें कहीं नहीं सुनाई दी.
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प्रशांत किशोर ने कहा कि अब जो सरकार बनने जा रही है, इस सरकार का एजेंडा क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी. पिछली सरकार में एक जो बड़ी समस्या नजर आई, वह थी शराबबंदी, देखने वाली बात होगी कि नई सरकार की शराबबंदी पर क्या नीति रहती है. क्या उसको लेकर कोई नई बात होगी. उन्होंने कहा कि किसानों को खाद पहले भी नहीं मिलती थी और आगे आज भी नहीं मिलने वाली है. उन्होंने कहा कि क्या ऐसा कोई बदलाव होता है, जो जनता को नजर आए, यह देखने वाली बात होगी. उन्होंने कहा कि जो सरकार बनने जा रही है, इस सरकार के पास भी कोई एजेंडा होगा ही. हमें देखना होगा कि यह सरकार किस घोषणापत्र को लेकर आती है.