नई दिल्ली : कांग्रेस महासचिव संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में अपने पहले जी20 शिखर सम्मेलन में बेहिसाब काला धन वापस लाने की बात कही थी. हालांकि, 'अडाणी विवाद' से यह पता चलता है कि वह अपनी बात पर अमल करने में विफल रहे. जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहला जी20 शिखर सम्मेलन नवंबर 2014 में ब्रिस्बेन में हुआ था.
जयराम रमेश ने बुधवार को 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि वहां उन्होंने टैक्स हेवेन में जमा बेहिसाब काला धन वापस लाने बात की थी. उन्होंने कहा कि तब पीएम ने सूचना के आदान-प्रदान और अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ घनिष्ठ समन्वय की सुविधा के लिए सभी पहलों के लिए मजबूत समर्थन व्यक्त किया था.
जयराम रमेश ने अपने पोस्ट में लिखा कि शब्द तो ठीक हैं लेकिन जो अधिक मायने रखता है वह है इरादा और संबंधित कार्य. मोदानी गाथा में नवीनतम सूचनाओं से पता चलता है कि आठ में से छह फंड - जिनका अडाणी समूह से संबंध था और जो कथित तौर पर उसकी ओर से धन ले जा रहे थे और स्टॉक की कीमतों में हेरफेर कर रहे थे - बंद कर दिए गए हैं.
उन्होंने लिखा कि विश्लेषकों का मानना है कि यदि सेबी अपनी अस्पष्ट (मोदी-निर्मित?) मूर्खता से जाग गई होती और पहले ही इन फंडों की जांच कर लेती, तो उन्हें इन संस्थाओं के अंतिम लाभार्थियों के बारे में जानकारी मिल सकती थी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने ऐसा क्यों होने दिया? केवल जेपीसी ही इसका उत्तर दे सकती है.