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कतर में 8 पूर्व नौसैनिकों की मौत की सजा पर मनीष तिवारी बोले- यह कैसी न्याय व्यवस्था - मनीष तिवारी कतर पूर्व नौसैनिक सजा मामला

कतर में 8 पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को दी गई मौत की सजा के खिलाफ अपील दायर की गई है. कतर न्याय प्रणाली को लेकर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कड़ी टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि यह कैसी न्याय व्यवस्था है. Manish Tewari Qatar Navy men death row

Congress MP Manish Tewari (File Photo)
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी (फाइल फोटो)

By ANI

Published : Nov 25, 2023, 11:18 AM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने शनिवार को आठ सेवानिवृत्त भारतीय नौसेना कर्मियों को मौत की सजा पर कतर के न्यायशास्त्र या न्याय देने की प्रणाली पर कड़ा हमला किया. उन्होंने इसे 'मनमाना' और 'मनमौजी' बताया. कतर की अदालत ने आठ पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई थी. पूर्व केंद्रीय मंत्री तिवारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इसे कंगारू ट्रायल बताया.'

पूर्व नौसेना अधिकारियों की सजा को लेकर विवाद के छह बिंदुओं की ओर इशारा करते हुए कांग्रेस नेता ने अपने ट्वीट में कहा, 'आधी रात को की गई गिरफ्तारियां अवैध थीं. 12 महीने तक एकान्त कारावास अवैध था. क्रूर यातना के तहत दबाव डालकर स्वीकारोक्ति प्राप्त की गई है. कोई भी आरोप सार्वजनिक नहीं किया गया है.

प्रथम दृष्टया न्यायालय के फैसले को सार्वजनिक नहीं किया गया. मुझे यहां बताया गया है कि परिवार के सदस्यों को भी दोहा की यात्रा करने और बचाव पक्ष के वकील के साथ एक गैर-प्रकटीकरण समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा जा रहा है ताकि फैसले को पढ़ा जा सके. यह किस तरह की न्याय प्रणाली है? उन्होंने सवाल किया और आगे कहा कि जब निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने की बात आती है तो कतर प्रणाली पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने मौत की कतार में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए तत्काल राजनीतिक हस्तक्षेप की मांग की.

इस मामले में इन 08 लोगों को घर वापस लाने के लिए पर राजनीतिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है. राज्यसभा सांसद ने अपने पोस्ट में कहा, 'एक मनमानी और मनमौजी न्याय प्रणाली पर भरोसा करना सबसे अच्छा विचार नहीं हो सकता है जब तक कि 'पूछा' न जाए. आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मी दोहा स्थित निजी रक्षा सेवा प्रदाता में ग्लोबल के कर्मचारी थे.

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उन्हें कथित जासूसी के आरोप में अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था. भारत ने इस फैसले को 'बेहद चौंकाने वाला' बताया और इस मामले पर कतर के साथ बातचीत के लिए सभी राजनयिक माध्यमों को तैनात किया. विदेश मंत्रालय (MEA) ने 9 नवंबर को कहा कि फैसला गोपनीय बना हुआ है. कहा कि मामले में एक अपील दायर की गई थी. विदेश मंत्रालय ने मामले की संवेदनशील प्रकृति के कारण सभी से अटकलबाजी में शामिल होने से परहेज करने का भी आग्रह किया.

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