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छत्तीसगढ़ में नक्सल नीति के तहत क्या है मुआवजे का प्रावधान ?

दंतेवाड़ा के अरनपुर में नक्सलियों ने 26 अप्रैल को आईईडी ब्लास्ट कर दिया था. इसमें 10 डीआरजी जवान शहीद हो गए. उसके अलावा एक ड्राइवर की मौत हो गई थी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शहीद जवानों के परिजनों को मुआवजा देने का एलान किया था, लेकिन कितना मुआवजा राशि दिया जाएगा, इसका जिक्र नहीं किया. आइए जानते हैं क्या है नई नक्सल पाॅलिसी और शहीद जवानों के लिए कितना है मुआवजे का प्रावधान.

new Naxal surrender policy
छत्तीसगढ़ में नक्सल नीति

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Published : Apr 29, 2023, 9:56 PM IST

रायपुर: दंतेवाड़ा के अरनपुर में डीआरजी जवानों की शहादत को तीन दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक शहीदों के परिवार वालों को न तो मुआवजा मिल पाया है और न ही इसे लेकर कोई स्पष्ट घोषणा ही की गई. खास बात यह है कि, शहादत देने वाले 10 डीआरजी जवानों में से 8 सरेंडर नक्सली थे. छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने इसी साल मार्च में नई नक्सल नीति को मंजूरी दी है.

जानिए क्या है नई नक्सल नीति:नई नीति के तहत शहीदों के परिजनों को 20 लाख रुपए मुआवजा राशि दी जाएगी. यह राशि खेती के लिए जमीन खरीदने के लिए होगी. तीन साल के भीतर खेती के लिए जमीन खरीदने पर दो एकड़ भूमि तक के लिए स्टाम्प ड्यूटी और पंजीयन शुल्क में छूट प्रदान की गई है. घायल जवानों को जरूरी होने पर कृत्रिम अंग प्रदान करने की व्यवस्था भी की गई है. इसके साथ ही शहीद जवान के परिजन को अनुकंपा नियुक्ति का भी प्रावधान है.


आत्मसमर्पण पर 25 हजार रुपए:नई नक्सल नीति के तहत यदि कोई नक्सली हथियार के साथ आत्मसमर्पण करता है तो, उसे प्रति कारतूस पांच रुपए के बदले 50 रुपए दिए जाएंगे. इसके साथ ही आत्मसमर्पण करने वाले हर एक नक्सली को प्रोत्साहन राशि के तौर पर 25 हजार रुपए दिए जाते हैं. वहीं हार्डकोर नक्सली यानी जिनके ऊपर पांच लाख या उससे अधिक का इनाम है. यदि वे आत्मसमर्पण करते हैं तो उन्हें 10 लाख की राशि अलग से दी जाएगी. यह राशि उसके ऊपर घोषित इनाम और समर्पित हथियार के बदले दी जाने वाली मुआवजा राशि के अतिरिक्त है.


पट्टा देने का भी है नियम:राज्य सरकार की नई नक्सल नीति में कई बदलाव किए गए हैं. इसके तहत यदि कोई नक्सली आत्मसमर्पण करता है तो उनकी सीधे पुलिस में भर्ती नहीं होती, बल्कि उन्हें कुछ दिन सजा काटनी होती है. इन्हें प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है. पुनर्वास के तहत जमीन का पट्टा देने के साथ सरकार की तमाम योजनाओं का लाभ दिया जाता है. इसके अलावा उन्हें लाइवलीहुड कॉलेज में बेहतर शिक्षा दी जाती है. उसके बाद योग्यता के हिसाब से सरकारी नौकरी दी जाती है.

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ग्रामीण की हत्या पर भी मुआवजा: यदि नक्सलियों ने किसी आम व्यक्ति की हत्या कर दी और वह व्यक्ति परिवार का इकलौता कमाने वाला है. तो ऐसे मामलों में अनुकंपा नियुक्ति की तर्ज पर परिजन को सरकारी नौकरी देने का नियम बनाया गया है. यदि सरकारी नौकरी नहीं दी जाती तो खेती की जमीन खरीदने के लिए 15 लाख की राशि दी जाएगी. इसमें भी 3 साल के भीतर कृषि भूमि खरीदने पर 2 एकड़ तक की जमीन पर स्टांप ड्यूटी और पंजीयन शुक्ल में पूरी छूट दी जाती है.

नक्सल क्षेत्रों में तैनात जवानों का भत्ता है अधिक:नक्सल क्षेत्रों में तैनात जवानों का ग्रेड के हिसाब से भत्ता तय है. यदि कोई जवान अति संवेदनसील नक्सल प्रभावित क्षेत्र में तैनात है तो उसका भत्ता सबसे ज्यादा होता है. कम संवेदनशील वाले क्षेत्र में तैनात जवानों को भत्ता 50 फीसदी मिलता है तो वहीं उससे कम संवेदनशील वाले क्षेत्र में तैनात जवानों को 35 प्रतिशत भत्ता देने का नियम है.

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