हैदराबाद : मंगलवार को बिहार विधानसभा में जो बवाल कटा उसे पूरी दुनिया ने देखा. बिहार विधानसभा की तरफ से विधानसभा में एक विधेयक पेश किया जाना था, जिससे पहले ही विपक्षी विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया. जिसके बाद आरजेडी समेत विपक्षी विधायकों के हंगामे, नारेबाजी से लेकर पुलिस बल और विधायकों के बीच हुई झड़प तक ने अखबारों और टीवी चैनलों की खूब सुर्खियां बटोरी. शाम होते-होते विधेयक भी सदन में पास हो गया. लेकिन सवाल है कि आखिर ये बवाल मचा क्यों हैं? उस विधेयक में ऐसा क्या है जिस पर मंगलवार को बिहार में सड़क से सदन तक विपक्षी विधायकों ने बवाल काट दिया? आखिर आरजेडी की इस विधेयक को लेकर क्या आपत्ति है.
बिहार सशस्त्र पुलिस बल विधेयक 2021
यही नाम है उस विधेयक का जिसे लेकर आरजेडी विधायकों ने बिहार विधानसभा में हंगामा किया. बिहार में बिहार मिलिट्री पुलिस (BMP) नाम से एक पुलिस बल है. जिसका नाम बदलकर इसके कार्यक्षेत्र और शक्तियों को बढ़ाने के लिए ही ये विधेयक लाया गया था.
इस विधेयक के जरिए सबसे पहले मिलिट्री शब्द हटाना उद्देश्य था. बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के मुताबिक सशस्त्र पुलिस का काम सरकारी प्रतिष्ठानों या संस्थानों की सुरक्षा करना होगा. इसमें एयरपोर्ट, ऐतिहासिक धरोहरों आदि की सुरक्षा शामिल है. बोधगया में आतंकी हमले के बाद BMP पिछले 8 साल से वहां सुरक्षा का जिम्मा संभाले हुए है. बीएमपी के अधिकार ना के बराबर है, उसके पास ना तलाशी का अधिकार है और ना ही गिरफ्तारी का. बिहार सरकार ये अधिकार बिहार सश्स्त्र पुलिस को देने के लिए ये विधेयक लाई है.
क्या है इस विधेयक में प्रावधान?सशस्त्र पुलिस बल की जिम्मेदारी प्रतिष्ठानों की सुरक्षा की ही होगी. लेकिन सुरक्षा में तैनात अधिकारी को बिना वारंट और बिना मजिस्ट्रेट की अनुमति के किसी संदिग्ध को गिरफ्तार करने का अधिकार मिल जाएगा. किसी घटना के बाद संदेह के आधार पर तलाशी और गिरफ्तारी का अधिकार सक्षम अधिकार को मिल जाएगा. जिसके बाद गिरफ्तार शख्स को आगामी कानूनी कार्रवाई के लिए नजदीकी पुलिस थाने को सौंपना होगा.
क्यों पड़ी जरूरत ?बिहार सरकार के मुताबिक सशस्त्र पुलिस बल का दायरा बढ़ रहा है. पहले इसकी भूमिका कानून-व्यवस्था की स्थिति पर नियंत्रण के लिए बिहार पुलिस के मददगार की रही है. लेकिन बदले हालात में इसकी भूमिका बढ़ी है, क्योंकि मौजूदा दौर में औद्योगिक इकाइयों से लेकर महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों, ऐतिहासिक धरोहरों, हवाई अड्डे की जिम्मेदारी भी इसे दी गई है. इसलिए इन्हें जिम्मेदारी के साथ शक्तियां देने का भी वक्त आ गया है. इस विधेयक के जरिए सशस्त्र पुलिस बल को अलग पहचान, अलग नियम और अधिकार देने की पहल बिहार सरकार की तरफ से की गई.
विपक्ष क्यों कर रहा है विरोध ?ये विधेयक पुलिस बल को बिना वारंट तलाशी और गिरफ्तारी की ताकत देता है. यही ताकत विपक्ष को रास नहीं आ रही. आरजेडी इसे काला कानून बता रही है. विपक्ष की तरफ से प्रचार किया जा रहा है कि पुलिस अब बिना वारंट किसी के भी घर में घुसकर तलाशी ले सकती है.
उधर नीतीश सरकार साफ कर चुकी है कि इस विधेयक का बिहार पुलिस उसके कार्यक्षेत्र या शक्तियों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. बिहार सरकार के मुताबिक सशस्त्र पुलिस बल को असीमित अधिकार नहीं दिए गए हैं अगर कोई अधिकारों का दुरुपयोग करता है, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. बिना वारंट गिरफ्तारी के सवाल पर बिहार सरकार ने साफ किया कि पुलिस को मौजूदा समय में भी ये अधिकार प्राप्त है.
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