दंतेवाड़ाःछत्तीसगढ़(Chhattisgarh) के दंतेवाड़ा (Dantewada)जिले में चलाए जा रहे लोन वर्राटू अभियान(Lone Verratu Campaign) से प्रभावित होकर 14 नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण (Naxal surrender)कर दिया है. दरअसल, पुलिस प्रशासन (Police administration) द्वारा लगातार भटके नक्सलियों को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए गांव-गांव में नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत अभियान चला रही है. साथ ही गांव के सरपंच सचिव और जनप्रतिनिधियों के माध्यम से नक्सलियों को जागरुक किया जा रहा है. जिसका परिणाम है कि आज अंदरूनी क्षेत्र के अधिकांश नक्सली आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में जुड़ चुके हैं.
क्या है लोन वर्राटू अभियान
लोन वर्राटू गोंडी शब्द है जिसका अर्थ 'घर वापस आइए' होता है. इस अभियान से ग्रामीणों को जोड़ने पुलिस ने आत्मसमर्पण के फायदे के बैनर पोस्टर के साथ ही नक्सलियों के नामों की लिस्ट भी जिले के हर गांव पंचायत में लगाई है. ग्रामीण अपने परिवार के वे लोग जो नक्सल संगठन से जुड़े हैं उनको वापस मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पुलिस के पास ला रहे हैं. ग्रामीण भी अपने गांव के नक्सलियों को आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़ने की अपील कर रहे हैं. यही वजह है कि लोन वर्राटू अभियान के तहत आदिवासी ग्रामीण लगातार नक्सल संगठन छोड़ मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं.
लोन वर्राटू अभियान की खास बातें
- इस अभियान में जो भी नक्सली सरेंडर कर रहे हैं, उनके लिए पुलिस और जिला प्रशासन उन्हें तत्काल रोजगार की व्यवस्था कर रहा है.
- सरेंडर नक्सलियों से बिल्डिंग, स्कूल, सड़क और पुल-पुलिया का निर्माण कार्य कराया जाता है, जिसे नक्सली नुकसान पहुंचा चुके होते हैं.
- सरेंडर नक्सली अपने गांव पंचायत के विकास कार्यों में योगदान दे रहे हैं.
- यह अभियान फिलहाल बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले में ही चलाया जा रहा है और इसकी सफलता को देखते हुए अन्य जिलों में भी इस अभियान को शुरू करने की तैयारी पुलिस प्रशासन द्वारा की जा रही है.
- इस अभियान के तहत सरेंडर करने वालों में एक लाख से लेकर 10 लाख के इनामी नक्सली भी शामिल हैं.
- लोन वर्राटू अभियान के तहत सरेंडर करने वाले नक्सलियों को बस्तर पुलिस अपने साथ पुलिस में भी नौकरी दे रही है और इसके लिए बकायदा उन्हें ट्रेनिंग देने के साथ ही नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे हैं एंटी नक्सल ऑपरेशन में भी शामिल कर रही है.