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कोरोना की एंडेमिक स्टेज यानि महामारी के साथ जीना सीख लो

भारत में कोरोना एंडेमिक स्टेज पर पहुंच सकता है. इसका क्या मतलब है ? क्या दूसरी लहर या उससे भी ज्यादा कहर बरपाने वाला है कोरोना ? आखिर क्या है किसी महामारी का एंडेमिक स्टेज में पहुंचना ? ये अच्छी ख़बर है या चिंता बढ़ाने वाली ? जानने के लिए पढ़िये ईटीवी भारत का ये एक्सप्लेनर (Etv bharat explainer)

कोरोना
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Published : Aug 27, 2021, 7:56 PM IST

हैदराबाद: बीते दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) ने कोरोना के एंडेमिक (endemic) स्टेज़ का जिक्र किया. WHO की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन (soumya swaminathan) ने कहा है कि भारत में कोरोना महामारी एक एंडेमिक फेज़ यानि स्थानिक चरण में पहुंच सकती है. आखिर इसका क्या मतलब है ? ये अच्छी बात है या डरने वाली बात है ? ऐसे हर सवाल का जवाब जानने से पहले जानिये

क्या होता है किसी महामारी का एंडेमिक होना ?

किसी महामारी के एंडेमिक फेज में पहुंचने का मतलब है कि अब वो महामारी कभी खत्म नहीं होगी. यानि ये वो स्थिति है जहां संक्रमण हमेशा के लिए किसी स्थान या आबादी के बीच हमेशा के लिए मौजूद रहेगा. कह सकते हैं कि इस अवस्था में आबादी किसी महामारी या वायरस के साथ जीना सीख लेती है. इस दौरान संक्रमण के फैलने की दर कम और मध्यम होगी

भारत में कोविड-19 एंडेमिक स्टेज में पहुंच सकता है

बीते दौर में जितनी भी बीमारियों के रोगाणुओ ने लोगों को प्रभावित किया है वो पूरी तरह से समाप्त नहीं हुए हैं. वो किसी ना किसी रूप में मौजूद रहे हैं. मलेरिया से लेकर टीबी, खसरा, इबोला वायरस, प्लेग भी ऐसी बीमारियों के उदाहरण हैं जो रह-रहकर किसी स्थान विशेष पर लोगों को प्रभावित करते हैं.

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यानि कोरोना के साथ जीना सीख लो

कोरोना महामारी के एंडेमिक होने की स्थिति का मतलब है कि अब कोरोना के साथ जीना सीख लो. इस अवस्था में रोग हमेशा के लिए किसी ना किसी रूप में मौजूद रहता है और आबादी पर उसका असर दिखता है. विशेषज्ञों के मुताबिक एंडेमिक की स्थिति में महामारी के मुकाबले लोगों में संक्रमण का खतरा कम होता है.

सौम्या विश्वनाथन, WHO की मुख्य वैज्ञानिक

हालांकि कोरोना की एंडेमिक स्टेज में ऐसा मुमकिन है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में कोरोना के मामलों में उतार-चढ़ाव देखा जाए. ये पूरी तरह से लोगों की इम्युनिटी और देश के अलग-अलग हिस्सों में संक्रमण के मामलों पर निर्भर करेगा. भारत के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, थाईलैंड, सिंगापुर जैसे कुछ और देश भी हैं जहां कोरोना एंडेमिक स्टेज में पहुंच सकता है यानि यहां के लोगों को भी कोरोना के साथ ही जीना होगा.

एंडैमिक (endemic), एपिडेमिक (Epidemic) और पेंडेमिक (pandemic) का अंतर

एपिडेमिक यानि महामारी- ऐसा रोग जो एक सीमित भू-भाग में फैलता है और वहां की आबादी को प्रभावित करता है. ये सक्रिय रूप से फैलते हुए लोगों को बीमार तो करता है लेकिन ऐसा एक सीमित क्षेत्र विशेष में होता है.

पेंडेमिक यानि वैश्विक महामारी- मार्च 2020 में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को वैश्विक महामारी घोषित किया था. यानि वो महामारी जो दुनियाभर में या बहुत व्यापक क्षेत्र को प्रभावित कर सकती है. जो अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को पार करती है और कई देशों में एक साथ बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करती है. जैसा कि कोविड-19 ने किया.

कभी ना खत्म होने वाली महामारी बन जाएगा कोरोना ?

एंडेमिक यानि स्थानिक- इस चरण में महामारी खत्म नहीं होती बल्कि वो उस आबादी और स्थान विशेष में लंबे समय के लिए मौजूद रहने वाली स्थिति में पहुंच जाती है. जहां वो पेंडेमिक की तरह से तेजी से नहीं फैलती और बहुत अधिक लोगों को एक साथ प्रभावित करने की संभावना भी कम रहती है. लेकिन ऐसी स्थिति में वो रह-रहकर किसी क्षेत्र या आबादी विशेष के हिस्से को प्रभावित करती है. पेंडेमिक में जनसंख्या का बड़ा हिस्सा वायरस की चपेट में आता है, जबकि एंडेमिक स्टेज में आबादी वायरस के साथ जीना सीख लेती है, वो लंबे वक्त तक वहां मौजूद रहता है. इस लिहाज से एंडेमिक स्टेज, पेंडेमिक का अगला चरण कहलाता है.

ये अच्छी ख़बर है या चिंताजनक ?

डॉ. सौम्या स्वामीनाथन के मुताबिक एंडेमिक की स्थिति में संक्रमण का खतरा तो रहता है लेकिन वो कम या सामान्य होता है. कुछ महीने पहले देश में दूसरी लहर के दौरान जैसे मामले आए थे और कोरोना लोगों के लिए जानलेवा साबित हुआ था, वैसी स्थिति आने की संभावना कम है. कोरोना संक्रमण का फैलाव जनसंख्या के साथ-साथ लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता और वैक्सीनेशन पर भी निर्भर करेगा. यानि जिन जगहों पर लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होगी और टीकाकरण कम हुआ होगा वहां मामलों में बढ़ोतरी दिख सकती है.

आगे क्या हो सकता है ?

भारत के आकार, आबादी और विविधता को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में रोग प्रतिरोधक क्षमता की स्थिति को देखते हुए संभव है कि कुछ राज्यों में बहुत अधिक मामले आएं जबकि कुछ राज्यों में बहुत कम मामले सामने आएं. ऐसा लगातार जारी रह सकता है. दूसरी लहर की तरह वायरस के तेजी से फैलने की संभावना कम है. जब रोजाना संक्रमितों के मामले औसतन 4 लाख तक पहुंच गए थे और दूसरी लहर के दौरान कई लोगों के लिए कोरोना संक्रमण जानलेवा भी साबित हुआ था.

दूसरी लहर जैसा कहर नहीं बरपाएगा कोरोना ?

सौम्या विश्वनाथन ने उम्मीद जताई कि भारत अगले साल के अंत तक देश की 70 फीसदी आबादी का टीकाकरण करा पाने में कामयाब होगा. अगर ऐसा हुआ तो भारत सामान्य स्थिति की तरफ लौट आएगा.

इसलिये सावधानी जरूरी है

भले कोरोना के एंडेमिक स्टेज पर पहुंचने से विशेषज्ञ कम या सामान्य संक्रमण की बात कह रहे हों लेकिन सतर्कता और सावधानी लगातार जरूरी है. क्योंकि एंडेमिक का मतलब महामारी का खत्म होना नहीं बल्कि आबादी के बीच हमेशा के लिए मौजूद रहना है. जो थोड़ी सी लापरवाही पर आपको शिकार बना सकती है. इसलिये विशेषज्ञ कोविड-19 से जुड़ी सावधानियों का पालन करने की सलाह हमेशा देते हैं, फिर चाहे मास्क पहनना हो या हाथ धोना और भीड़भाड़ से दूर रहना.

सावधानी और वैक्सीनेशन दोनों जरूरी हैं

कोरोना के बदले रूप या डेल्टा जैसे नए वेरिएंट्स को देखते हुए भी विशेषज्ञ सावधानी बरतने की सलाह देते हैं. इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर दुनिया के तमाम जानकारों ने टीकाकरण को सबसे जरूरी बताया है. इसलिये कोरोना के टीके की डोज़ समय पर लें, क्योंकि वैक्सीनेशन ही कोविड-19 के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है.

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