हैदराबाद: समीर वानखेड़े बनाम नवाब मलिक, राज कुंद्रा बनाम शर्लिन चोपड़ा, जावेद अख्तर बनाम कंगना रनौत, आईएमए बनाम बाबा रामदेव... ये कुछ मामले हैं जो बीते दिनों मीडिया की सुर्खियों में बने रहे. इन मामलों में एक चीज़ कॉमन है और वो है मानहानि. ऐसे मामलों की फेहरिस्त बहुत लंबी है. आपने भी अखबार से लेकर मीडिया चैनल और सोशल मीडिया तक ऐसी ख़बरें पढ़ी होंगी फलां ने फलां के खिलाफ इतने करोड़ का मानहानि का केस किया है.
समीर वानखेड़े के पिता ने महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ 1.25 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगते हुए मानहानि का केस दायर किया है. शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा ने शर्लिन चोपड़ा पर 50 करोड़ रुपये की मानहानि का केस किया है. और आईएमए यानि इंडियन मेडिकल एसोसिएसन ने एलोपैथी को लेकर दिए बाबा रामदेव के बयान पर माफी मांगने को कहा था वरना बदले में एक हजार करोड़ की मानहानि का केस करने की बात कही थी. अरविंद केजरीवाल तो मानहानि के मामले में जेल की हवा तक खा चुके हैं. लेकिन बात इन मामलों की नहीं उस मानहानि की करेंगे जो इन सब केस में कॉमन है. मानहानि में करोड़ों की रकम कैसे तय होती है ? सजा का क्या प्रावधान है? जैसे कई सवाल आपके मन में भी उठ रहे होंगे, उनका जवाब एक-एक करके देंगे लेकिन पहले जानिये...
क्या होती है मानहानि ?
कहते हैं कि इज्जत और नाम कमाने में उम्र बीत जाती है लेकिन उसे गंवाने में एक पल ही काफी होता है. समाज में हर इंसान के लिए इज्जत, मान, सम्मान, प्रतिष्ठा बहुत मायने रखती है. इंसान की तरह ही किसी संस्था या संगठन की भी प्रतिष्ठा, ख्याति होती है. इसलिये सीधे शब्दों में कहें तो मान-सम्मान, ख्याति या प्रतिष्ठा को पहुंची हानि या नुकसान मानहानि कहलाती है.
कानून की नजर में मानहानि
भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के मुताबिक कोई ऐसा बयान देना, ऐसा दस्तावेज या चित्र प्रकाशित करना जिससे किसी व्यक्ति या संस्था की छवि खराब होती हो, तो मानहानि के तहत केस दर्ज होता है. कोई झूठा आरोप लगाकर किसी की प्रतिष्ठा या ख्याति को चोट पहुंचाना भा मानहानि के दायरे में आता है. संकेतों या चित्रों द्वारा भी किसी पर लांछन लगाना इस दायरे में आता है. लेकिन जो मानहानि का केस दर्ज करवा रहा है उसे ये बात कोर्ट में साबित करनी होती है कि उसकी मानहानि हुई है.
मानहानि होती है अगर...
1) अपमानजनक टिप्पणी या बयान दिया हो-टिप्पणी या बयान आपत्तिजनकर होने पर मानहानि हो सकती है लेकिन क्या आपत्तिजनक है यह फैसला सबूतों और परिस्थितियों के आधार पर कोर्ट करेगी.
उदाहरण- लाइव लॉ के मुताबिक आजादी से पहले का मानहानि का एक मुकदमा इस मामले में मिसाल है. जिसमें एक एक विधवा स्त्री पर उसके भतीजे ने व्यभिचार का आरोप लगाते हुए कहा था कि स्त्री के घर से रात दो बजे के बाद एक पुरुष निकला था और अवश्य ही वह पुरुष इससे संभोग करने गया होगा. मामला पंचायत में पहुंचा, जहां स्त्री निर्दोष साबित हुई. इसके बाद महिला ने अपने भतीजे पर मानहानि का आरोप लगाते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लेकिन कोर्ट ने इस मामले को निरस्त कर दिया. कोर्ट ने माना कि बिरादरी की पंचायत महिला को निर्दोष मान चुकी है, इसीलिए महिला को सम्मान में कोई हानि नहीं हुई तथा वह अभियुक्त को निर्दोष माना गया.
2) अपमानित करने का इरादा हो- मानहानि के तहत आरोपी बनाए जाने के लिए इरादा (intention) बहुत जरूरी है. किसी भी बयान, चित्र, डॉक्यूमेंट आदि का प्रकाशन का इरादा किसी व्यक्ति या संगठन विशेष की मानहानि का होना चाहिए.
3) अपमानजनक टिप्पणी या बयान मानहानि का दावा करने वाले को लक्ष्य करके दिया गया होना चाहिए.
4) अपमानजनक टिप्पणी का प्रकाशित होना- मानहानि के लिए की गई किसी टिप्पणी या बयान की सूचना मानहानि का दावा करने वाले शख्स के अलावा भी किसी को होनी चाहिए. इसलिये जिस बयान, चित्र या दस्तावेज के कारण मानहानि का दावा किया जा रहा है उसका प्रकाशित या प्रसारित होना जरूरी है. जैसे अगर कोई शख्स आपको लेकर कोई अपमानजनक टिप्पणी करे लेकिन उसे अगर आपके सिवाय दुनिया में किसी ने भी नहीं सुना है तो इसे मानहानि नहीं माना जाएगा.
5) मृत व्यक्ति की भी हो सकती है मानहानि- ऐसी टिप्पणी, चित्र या दस्तावेज जिससे मृत व्यक्ति के सम्मान और ख्याति को क्षति पहुंचती हो तो इसे मानहानि माना जाएगा. ऐसे मामलों में रिश्तेदार मानहानि करते हैं.