हैदराबाद :नगालैंड में 14 नागरिकों की फायरिंग में मौत के बाद नार्थ-ईस्ट के दो राज्यों के मुख्यमंत्री समेत कई संगठनों ने नगालैंड में लागू AFSPA (Armed Forces Special Powers Act 1958) को तत्काल वापस लेने की मांग की है. नगालैंड ही नहीं, सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (AFSPA) अभी देश के कई हिस्सों में लागू है. जम्मू और कश्मीर, असम, इंफाल म्यूनिसिपल के इलाके को छोड़कर मणिपुर में भी सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून लागू है. इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश के 3 जिलों तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग और असम से लगने वाले 8 पुलिस स्टेशनों में अभी भी यह कानून लागू है.
सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (AFSPA) 11 सितंबर 1958 को पारित किया गया था. उस दौर में नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में काफी उपद्रव हो रहे थे. पूर्वोत्तर राज्यों में हिंसा रोकने के लिए सेना को कार्रवाई का अधिकार देने के लिए यह कानून बनाया गया. जम्मू कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने के कारण 1990 में वहां भी सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून लागू कर दिया गया था.
AFSPA किसी भी राज्य या इलाके में तभी लागू किया जाता है, जब राज्य या केंद्र सरकार उसे 'अशांत क्षेत्र' अर्थात डिस्टर्बड एरिया घोषित कर दे. इस कानून के लागू होने के बाद ही अशांत क्षेत्र में सेना या सशस्त्र बल भेजे जाते हैं. सशस्त्र बल को कानून के तहत संदिग्ध व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार दिया जाता है.
कैसे तय होता है अशांत क्षेत्र या डिस्टर्ब एरिया?: सरकार ने अशांत क्षेत्र को चिह्नित करने के लिए नियम तय किए हैं. जब किसी इलाके में समुदायों के बीच मतभेद हो जाता है और वहां नस्ल, भाषा, धर्म, जाति या समूहों के आधार पर हिंसा होती है और उपद्रव होने लगते हैं, तो राज्य या केंद्र सरकार उसे अशांत या डिस्टर्ब घोषित कर देती है. इस स्थिति को काबू करने के लिए सेना या सशस्त्र बल की तैनाती की जाए या नहीं, यह फैसला सबसे पहले राज्य सरकार करती है. उसकी मांग पर केंद्र सुरक्षा बल उपलब्ध कराता है.
इस कानून का विरोध करने वालों का दावा है कि जिन राज्यों में AFSPA लागू हुआ, वहां राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर फैसला लिया गया. मगर इसका दूसरा पहलू यह है कि अगर राज्य सरकार शांति की घोषणा करती है, तो यह कानून स्वत: वापस हो जाता है. यानी नॉर्थ-ईस्ट की मौजूदा सरकारें इस पर निर्णय ले सकती हैं.
क्यों होता है सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (AFSPA) का विरोध : इस कानून के तहत सशस्त्र सुरक्षा बलों को कार्रवाई के लिए विशेषाधिकार हासिल होता है. AFSPA के तहत सुरक्षा बल किसी भी संदिग्ध को बिना किसी वारंट की तलाशी और गिरफ्तार कर सकता है. उन्हें बिना किसी वारंट के किसी भी घर की तलाशी लेने और बल इस्तेमाल करने की इजाजत मिल जाती है. यदि कोई व्यक्ति अशांति फैलाता है और बार बार कानून तोड़ता है तो सशस्त्र बल को गोली चलाने का हक हासिल होता है. संदिग्ध की सूचना पर उन्हें संभावित शरणस्थली को गिराने की अनुमति मिल जाती है. गलत कार्रवाई करने के बाद भी सशस्त्र बलों पर कानूनी कार्यवाही नहीं की जाती है.