नई दिल्ली: इंडिया इंटरनेशनल सेंटर नई दिल्ली में शुक्रवार को भारत की सुरक्षा के लिए परमाणु चुनौतियां विषय पर आयोजित कार्यक्रम में श्रोताओं को संबोधित करते हुए शिव शंकर मेनन ने कहा कि भारत के भीतर परमाणु संदर्भ कई तरह से बदल गया है. जैसे कि प्रौद्योगिकी परिवर्तन और सुधार. यह वास्तविक खतरा बन गया है.
बुडापेस्ट ज्ञापन के बारे में बात करते हुए जिसने 1994 में यूक्रेन के साथ एक स्वतंत्र और एक संप्रभु यूक्रेन की नींव रखी, उस समय यूक्रेन ने अपने तीसरे सबसे बड़े परमाणु शस्त्रागार को आत्मसमर्पण कर दिया. मेनन ने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और चीन ने वादा किया था यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा की जाएगी. लेकिन हम जो देख रहे हैं वह स्थापित प्रोटोकॉल का घोर उल्लंघन है जिसमें यूक्रेन की मदद करने वाले कोई हस्ताक्षरकर्ता नहीं हैं.
स्वतंत्रता के बदले में यूक्रेन ने अपने सभी परमाणु शस्त्रागार को आत्मसमर्पण कर दिया और हम इसके प्रभाव को देख रहे हैं. भारत की परमाणु नीति यानी पहले उपयोग नहीं को बनाए रखती है. मेनन का मानना है कि युद्ध क्षेत्र में परमाणु हथियारों का उपयोग अत्यंत खतरनाक है और तर्कसंगत विचार नहीं है. यह बहुत विनाश ला सकता है लेकिन हम जो देख रहे हैं वह राजनीतिक मोर्चे पर निवारक के रूप में परमाणु शब्द का उपयोग है. बयान में पाकिस्तान की परमाणु शस्त्रागार का उपयोग करने की धमकी का उपयोग करने की नीति पर प्रकाश डाला गया है. जो वास्तव में राजनीतिक प्रतिरोध के रूप में परमाणु खतरे का उपयोग करने का एक प्रक्षेपण है.