श्रीनगर : जेकेएलएफ अध्यक्ष यासीन मलिक पर इन धाराओं के तहत दर्ज हुआ था मुकदमा- यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी गतिविधि). धारा 17 (आतंकवादी गतिविधि के लिए धन जुटाना). धारा 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश). धारा 20 (आतंकवादी समूह का सदस्य होना). आईपीसी की धारा 120बी. और देशद्रोह की धारा 124ए. आपको बता दें कि टेरर फंडिंग के मामले में दोषी करार दिए जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के अध्यक्ष मोहम्मद यासीन मलिक को बुधवार को नई दिल्ली की एक विशेष एनआईए अदालत के समक्ष पेश किया गया. इस दौरान मलिक दस्तावेजों की एक फाइल अपने सीने के पास पकड़े हुए, दर्जनों पुलिसकर्मी की सुरक्षा में अदालत कक्ष तक पहुंचे. कोर्ट ने मलिक को उम्र कैद की सजा सुनाई है.
हालांकि उन्हें हथकड़ी नहीं लगाई गई थी, लेकिन एक पुलिसकर्मी ने उन्हें कोर्ट रूम में ले जाते समय उनके बाएं हाथ को पकड़ लिया. अदालत ने मलिक को सजा तय करने के लिए मुकदमा शुरू किया, क्योंकि उन्हें पहले ही आरोपों के लिए दोषी ठहराया जा चुका है. मलिक ने वकील की मदद लेना भी बंद कर दिया है. मलिक को 1990 के दशक की शुरुआत में भी गिरफ्तार किया गया था और अपनी रिहाई के बाद उन्होंने आतंकवाद से राजनीति में अपना रास्ता बदल लिया. 1993 में, उन्होंने JKLF को एक राजनीतिक समूह के रूप में घोषित किया और ऑल पार्टीज़ हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) के एक घटक बन गए. इस दौरान उन्होंने एक अलगाववादी के रूप में वर्ष 1993 से खुद को दूर कर लिया.
मलिक के खिलाफ आरोप पत्र के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई है जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तान में हथियार प्रशिक्षण लेने के लिए एलओसी पार करने के बाद 1988 में हथियार उठाने वाले पहले कश्मीरियों में से एक हैं.
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- यासीन मलिक चार्जशीट में आरोपी नंबर 14 हैं. उन्हें 10 अप्रैल, 2019 को गिरफ्तार किया गया था, हालांकि एनआईए ने 2017 में कश्मीर में अलगाववादियों पर कार्रवाई शुरू की थी.
- आरोपी मोहम्मद यासीन मलिक उर्फ असलम (आरोपी-14) के खिलाफ आरोप है कि वह जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) का मुखिया है, जो जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी और विध्वंसक गतिविधियों में लिप्त है. जम्मू-कश्मीर राज्य में अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों से संबंधित साजिश का हिस्सा होने के नाते, 26 फरवरी 2019 को उनके घर की तलाशी लेने के दौरान दस्तावेज व इलेक्ट्रॉनिक सामान समेत आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई थी.
- इसी क्रम में उन्हें 10 अप्रैल 2019 को गिरफ्तार किया गया था. 1993 में जेकेएलएफ एएचपीसी का एक हिस्सा बन गया. वहीं 2016 में एसएएस गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक के साथ आरोपी यासीन मलिक ने जेआरएल नामक एक स्वयंभू समूह का गठन किया. उन्होंने जनता को विरोध, प्रदर्शन, हड़ताल, बंद, रोडब्लॉक और अन्य विघटनकारी गतिविधियों को आयोजित करने के लिए निर्देश जारी करना शुरू कर दिया. इसका मकसद पूरे समाज में अराजकता पैदा करना था.
- आरोपी यासीन मलिक ने अन्य आरोपियों के साथ साजिश कर अपनाई गई रणनीति का खुलासा किया. साथ ही आरोपी यासीन मलिक के परिसर से हिज्बुल मुजाहिदीन के लेटरहेड की एक प्रति जब्त की गई थी. उस लेटरहेड में आतंकवादी संगठनों यानी एचएम, लश्कर और जैश ने संयुक्त रूप से घाटी में फुटबॉल टूर्नामेंट का समर्थन करने वाले लोगों को इस खेल के आयोजकों से खुद को अलग करने और स्वतंत्रता 16 के संघर्ष के प्रति वफादारी दिखाने की चेतावनी दी थी.
- इसके अलावा आरोपी यासीन मलिक और शाहिद उल इस्लाम के बीच फेसबुक चैट से पता चलता है कि कश्मीर घाटी में पथराव की घटनाओं को आरोपी व्यक्तियों द्वारा रची गई एक सुनियोजित साजिश के तहत अंजाम दिया गया था.
- आगे यह भी कहा गया है कि जांच के दौरान यासीन मलिक के ई-मेल अकाउंट से ई-मेल डाउनलोड किए गए थे. इन ई-मेल से पता चलता है कि आरोपी यासीन मलिक ने स्वतंत्रता संग्राम के नाम पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने के लिए दुनिया भर में एक विस्तृत रूप तय की थी.
- इतना ही नहीं यासीन मलिक के एक सहयोगी ने आप की अदालत नामक एक कार्यक्रम में आरोपी यासीन मलिक द्वारा रजत शर्मा को दिए गए एक साक्षात्कार की प्रतिलिपि के साथ एक ई-मेल भेजा, जिसमें यासीन मलिक ने कहा कि उसने मुरी में लश्कर के शिविर का दौरा किया था, जहां हाफिज सईद था. वहां पर हाफिज के लिए एक अभिनंदन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. आरोप-पत्र में उक्त मेल के अंश पुन: प्रस्तुत किए गए हैं.
- दस्तावेज़ यह दर्शाते हैं किआरोपी यासीन मलिक ने धारा 38, 39 और 40 यूएपीए के तहत अपराध किए हैं. यासीन को हाफिज सईद के साथ मंच साझा करते हुए दिखाने वाली समाचार क्लिप का प्रतिलेख भी लगाया गया है. वहीं आरोपी की ओर से दलील दी गई कि उसने हाफिज सईद को अपने मंच पर आमंत्रित नहीं किया था और हाफिज सईद खुद उस मंच पर पहुंचा था.
- हालांकि, इस आरोपी को या तो हाफिज सईद को मंच छोड़ने के लिए किसी ने नहीं कहा. खुद को जम्मू-कश्मीर का एक लोकप्रिय राजनीतिक नेता होने का दावा करना और हाफिज मोहम्मद के साथ एक मंच साझा करना. सईद इस आतंकवादी के कारण और जनता की नजर में उसके कार्यों को वैध ठहराता है.
- आरोपी ने इस बैठक को स्वीकार किया लेकिन उसने तर्क दिया कि उसने हाफिज सईद को शांति प्रक्रिया में शामिल होने के लिए मनाने के लिए सरकार के कहने पर यह बैठक की थी. हालांकि, यह अभियुक्त का एक तर्क है जिसे उसे साबित करने की आवश्यकता है और इस प्रकार, यह मुकदमे का विषय बन जाता है और इस तर्क का समर्थन करने के लिए रिकॉर्ड पर किसी भी सबूत के अभाव में आरोपी यासीन मलिक का कार्य धारा 39 यूएपीए के तहत आता है.
- आरोपी यासीन मलिक के खिलाफ किसी आतंकी संगठन के लिए फंड जुटाने का कोई सबूत नहीं है. हालांकि इस बात के सबूत हैं कि उसने कुछ राशि जहूर अहमद शाह वटाली से प्राप्त की थी, जिन्होंने बदले में इसे हाफिज सईद से प्राप्त किया था.
- हालांकि कुछ मेल हैं जो दर्शाते हैं कि आरोपी जेकेएलएफ के लिए धन जुटा रहा था, लेकिन यह एनआईए अधिनियम की अनुसूची- I के अनुसार एक आतंकवादी संगठन नहीं है, इस प्रकार, इस आरोपी के खिलाफ धारा 40 यूएपीए का अपराध नहीं बनता है.