नई दिल्ली :जल संरक्षण लोगों के जीवन और आजीविका के लिए बेहद जरूरी है, इसलिए आर्द्रभूमि (वेटलैंड) का भी पुरजोर तरीके से संरक्षण किया जाना चाहिए. शहरी क्षेत्रों में बाढ़ की हालिया घटनाओं का हवाला देते हुए विशेषज्ञों ने एक बार फिर आर्द्रभूमि के विकास पर चिंता जताने के साथ ही भविष्य में बेहतर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जल निकायों के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया. उक्त बातें विशेषज्ञों ने वेटलैंड्स इंटरनेशनल साउथ एशिया के रजत जयंती समारोह के अवसर पर कहीं. इस दौरान आर्द्रभूमि संरक्षण के मुद्दे पर पैनल चर्चा हुई.
इस अवसर पर विशेषज्ञों ने कहा कि विकास के दबावों के कारण आर्द्रभूमि का झरण हो रहा है. हर जगह नई चीजें सामने आ रही हैं और बाद में वहां बसने वाले लोगों को बाढ़ जैसे मुद्दों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हाल ही में गुरुग्राम में बाढ़ आई थी. यहां पर निर्माण कार्यों के कारण अधिकांश नाले और नाले काट दिए गए थे जिसकी वजह से ढ़ के पानी के लिए कोई रास्ता नहीं था. कुछ ऐसा ही कश्मीर में भी हुआ था. उन विनाशकारी बाढ़ के कारण बहुत से लोग मारे गए जिसके पीछे की वजह आर्द्रभूमि ही थी. ताजा उदाहरण बेंगलुरु रहा है. जब भी हम आर्द्रभूमि में हस्तक्षेप करते हैं तो तबाही होती है क्योंकि अंततः आर्द्रभूमि हमें ताजा पानी प्रदान करती है.
वेटलैंड्स इंटरनेशनल साउथ एशिया के अध्यक्ष डॉ.सिद्धार्थ कौल (Dr. Siddharth Kaul, president, Wetlands International South Asia) ने कहा कि आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए स्मार्ट उपयोग के प्रयासों को तत्काल बढ़ाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि आर्द्र भूमि की वजह से पानी के भंडार हैं और यह भी कहा जाता है कि तीसरा विश्व युद्ध, जब भी होगा, पानी के कारण होगा. आकार कोई भी हो, चाहे वह छोटा हो, मध्यम हो या बड़ा. यदि आप आर्द्रभूमि को नष्ट करते हैं, तो आपको पानी के मुद्दों का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि वेटलैंड्स इंटरनेशनल साउथ एशिया, एक गैर सरकारी संगठन जो दक्षिण एशिया क्षेत्र में आर्द्रभूमि, उनके संसाधनों और जैव विविधता को बनाए रखने और बहाल करने के लिए काम कर रहा है. उन्होंने आगे कहा कि मानव जीवन के लिए कई प्रकार की आर्द्रभूमि मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है, उनसे जीवन संभव नहीं होता. आर्द्रभूमि देश में लाखों लोगों को आजीविका भी प्रदान करती है.