दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

बंगाल का रण : बिहार से निकलेगा सीट बंटवारे का समीकरण? कांग्रेस-लेफ्ट में फंसा पेंच

पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच आमने-सामने की टक्कर दिख रही है. वामपंथी दल इसे त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं. इसके लिए वामपंथी दल कांग्रेस के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं, लेकिन इनके बीच सीट बंटवारे का पेंच फंसा है.

बिहार से निकलेगा सीट बंटवारे का समीकरण
बिहार से निकलेगा सीट बंटवारे का समीकरण

By

Published : Feb 15, 2021, 8:38 PM IST

पटना :पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव पर पूरे देश की नजर है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच आमने-सामने की टक्कर दिख रही है. वामपंथी दल इसे त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं. इसके लिए वामपंथी दल कांग्रेस के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं, लेकिन इनके बीच सीट बंटवारे का पेंच फंसा है.

बिहार के वामपंथी दलों के नेताओं का मानना है कि सीटों का बंटवारा पिछले प्रदर्शन की बजाय मौजूदा पॉलिटिकल एडजस्टमेंट के आधार पर हो. हर सीट पर यह सुनिश्चित किया जाए कि जिस दल के उम्मीदवार को उतारा जा रहा है, क्या वह चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की क्षमता रखता है? इसलिए वामदल पिछले प्रदर्शन के आधार पर सीट बंटवारे के पक्ष में नहीं हैं.

बंगाल चुनाव पर विशेष रिपोर्ट

वामपंथी दलों के नेताओं का कहना है कि बिहार चुनाव में उनका प्रदर्शन बेहतर था, जिसके चलते बंगाल चुनाव में भी उन्हें अधिक सीटें मिलनी चाहिए. वहीं, कांग्रेस की ओर से कहा जा रहा है कि 2016 में हुए बंगाल विधानसभा चुनाव में उनका प्रदर्शन लेफ्ट की तुलना में अच्छा था. सीट बंटवारे में इस बात का भी ध्यान रखा जाए.

बिहार में बेहतर स्ट्राइक रेट से लेफ्ट को मिली ताकत
बिहार विधानसभा चुनाव में वामपंथी दलों का स्ट्राइक रेट बेहतर रहा है, इससे इन्हें नई ताकत मिली है. इसकी बदौलत लेफ्ट पार्टियां बंगाल में भी मजबूत दावेदारी कर रहीं हैं. वहीं, कांग्रेस भी पीछे हटने को तैयार नहीं है.

2016 में पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव में स्थिति इससे उलट थी. तब कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया था और वामपंथी दलों को अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी.

बंगाल में कांग्रेस ने 92 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे, 44 सीटों पर उन्हें जीत हासिल हुई थी. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने 148 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे, लेकिन महज 26 सीटों पर जीत मिली.

लड़ाई त्रिकोणीय बनाने की होगी कोशिश

वाम नेता अनीश अंकुर ने कहा कि 'हाल के कुछ वर्षों में देश में राजनीतिक परिस्थितियां बदली हैं. भाजपा को लेफ्ट पार्टियां ही शिकस्त दे सकती हैं. बिहार में लेफ्ट पार्टियों का परफॉर्मेंस इसका उदाहरण है. कांग्रेस जिद कर भले ही अधिक सीटों पर चुनाव लड़ी, लेकिन नतीजा सबके सामने है. पश्चिम बंगाल में भी वामदलों को अधिक सीटें मिलनी चाहिए ताकि नरेंद्र मोदी को टक्कर दिया जा सके.'

कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि 'बिहार में राजदसबसे बड़ी पार्टी है तो क्या इस बिना पर पश्चिम बंगाल में भी वह सबसे अधिक सीटों की हकदार है. हमारी पार्टी का परफॉर्मेंस पिछले बंगाल विधानसभा चुनाव में शानदार रहा था. लिहाजा हमारी हिस्सेदारी अधिक बनती है.'

भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि 'पश्चिम बंगाल में भाजपाअजेय बढ़त की ओर बढ़ रही है. हमारा मुकाबला किसी से नहीं है. भारी मतों के अंतर से हमारी वहां जीत होने वाली है. वामदल और कांग्रेस अपने मंसूबे में सफल नहीं होंगे.'

पढ़ें- पांच राज्यों में आरपीआई को सीटें देने के लिए नड्डा को लिखेंगे पत्र : अठावले

राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का मानना है कि सीट शेयरिंग को लेकर भले ही कांग्रेस और वामपंथी दलों के बीच पेंच फंसा है, लेकिन दोनों दल मजबूत प्रत्याशी उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश करेंगे. हालांकि उन्हें कामयाबी कितनी मिलेगी यह देखने वाली बात होगी.

ABOUT THE AUTHOR

...view details