हैदराबाद : पश्चिम बंगाल में पहले चरण का चुनाव शनिवार को है. झारग्राम, बांकुड़ा, पुरुलिया, पूर्वी और पश्चिमी मेदिनीपुर प्रमुख क्षेत्र हैं, जहां मतदान होना है. यह जंगलमहल का इलाका है. यह नक्सलियों का इलाका माना जाता है.
चुनाव आयोग ने सुरक्षा के पुख्ता उपाय किए हैं. सभी 30 विधानसभा की सीटों के लिए यहां पर मतदान होगा. केंद्रीय सुरक्षा बलों की 732 कंपनियां तैनात हैं. 10288 पोलिंग बूथ हैं. जाहिर है, बूथों की संख्या बढ़ाने और सुरक्षा के बेहतर उपाय होने के बाद लोगों के मन से भय खत्म होने की उम्मीद है. गार्बेटा और सालबोनी जैसे इलाकों में मतदाता बेखौफ होकर मतदान कर सकते हैं. बिनपुर, नयाग्राम, गोपीवल्लभपुर, झाड़ग्राम, बाघमुंडी, बलरामपुर और बंदोवन में नक्सलियों का प्रकोप ज्यादा रहा है.
इसके बावजूद प्रजातांत्रिक प्रक्रिया उम्मीद लेकर आता है. वाम दल और ममता बनर्जी जंगलमहल इलाके को बेहतर तरीके से जानते हैं. वे जानते हैं कि यहां पर किस तरह से खूनी खेल खेला जाता रहा है. खासकर गार्बेटा और सालबोनी में. गार्बेटा में सीपीएम के तपन घोष उम्मीदवार हैं. सालबोनी से सीपीएम की ओर से सुशांत घोष चुनाव लड़ रहे हैं.
जब भी यहां पर चुनाव होते हैं, चार जनवरी 2001 की घटना उनके मन में कौंध जाती है. उस दिन गारबेटा इलाके के चोटो-आंगारिया में खूनी संघर्ष हुआ था. टीएमसी के समर्थकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. आरोप कथित तौर पर सीपीएम पर लगा था.
उस समय सुशांत घोष लेफ्ट सरकार में मंत्री हुआ करते थे. उनके दो प्रमुख सहयोगी थे- तपन घोष और सुकुर अली. कहा जाता है कि यही दोनों उस घटना के मास्टरमाइंड थे. सुशांत घोष पर गार्बेटा की घटना का आरोप लगा. सीपीएम ने उन्हें निलंबित भी कर दिया था. सात लोगों के कंकाल मिले थे. घोष के आवास के पास बेनाचापारा में 2002 में उस जगह की खोदाई की गई थी, वहीं पर कंकाल मिला था. सुशांत 1987 से प. बंगाल विधानसभा के सदस्य थे. आरोप ये लगा कि उन्होंने मामले को दबाने की कोशिश की.
उसी सुशांत घोष ने 2001 में टीएमसी की ओर से नारा दिया - केशपुर सीपीएम का 'शेषपुर' है. 2016 में एक अदालती आदेश और टीएमसी ने पश्चिम मेदिनीपुर में प्रवेश किया और 61,000 से अधिक मतों के अंतर से चुनाव जीता. 2019 के चुनावों के नतीजे आए, तो भाजपा ने उसी गारबेटा सीट से तृणमूल को लगभग 8,000 वोटों से हराया. सीपीएम को पता है कि उसके पास सालबोनी, गारबेटा या खेजुरी जैसी सीटों से सुशांत घोष या तपन घोष या हिमांशु दास से बेहतर कोई दांव नहीं है.
जंगलमहल का इलाका अब भाजपा की नई जमीन है. 2016 में टीएमसी ने यहां पर 27 सीटें जीती थी. भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी. 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा 20 सीटों पर आगे रही, जबकि टीएमसी 10 सीटों पर. भाजपा का वोट शेयर तीन फीसदी से बढ़कर 38 फीसदी तक पहुंच गया. यह ममता के लिए बहुत बड़ी चुनौती है कि वह इस किले को बरकरार रख पाती हैं या नहीं.