कोलकाता : 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (West Bengal chief minister Mamata Banerjee) का पूरा फोकस उत्तर बंगाल पर है. 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने उत्तर बंगाल में लोकसभा की अधिकांश सीटों पर जीत हासिल की थी. इसकी बदौलत भाजपा को राज्य में अपनी कुल सीटों की संख्या 18 तक ले जाने में मदद मिली.
यहां तक कि 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान भी उत्तर बंगाल में भाजपा का प्रदर्शन दक्षिण बंगाल की तुलना में कहीं बेहतर था. इसको देखते हुए अब तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress- TMC) ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भगवा खेमे से उत्तर बंगाल की बीजेपी सीटों को लेकर रणनीति तैयार की है. हालांकि कई प्रयासों के बाद भी तृणमूल कांग्रेस कभी भी उत्तर बंगाल में पूर्ण पकड़ नहीं बना पाई थी, जबकि पार्टी ने 2011 के बाद यहां सफलता हासिल की.
टीएमसी को 2016 के राज्य विधानसभा चुनावों में उत्तर बंगाल के जिलों कूचबिहार, जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार में कुछ सफलताएं मिलीं. लेकिन ये सफलताएं पहले 2019 के लोकसभा चुनावों में और फिर 2021 के राज्य विधानसभा चुनावों में फीकी पड़ गईं. इन दोनों ही चुनावों में भाजपा ने उत्तर बंगाल में अपना वर्चस्व बनाए रखा.
हालांकि, सिलीगुड़ी नगर निगम (एसएमसी) चुनावों के लिए हाल ही में संपन्न हुए चुनावों के नतीजों ने साबित कर दिया है कि 2019 और 2021 के चुनावों में बीजेपी की लगातार सफलताएं काफी हद तक फीकी पड़ गई हैं. ममता बनर्जी इस स्थिति का फायदा उठाना चाहती हैं और उन्होंने फिर से उत्तर बंगाल पर ध्यान देना शुरू कर दिया है. 2021 के राज्य विधानसभा चुनावों में, भाजपा कई पूर्व तृणमूल कांग्रेस नेताओं को शामिल करने और इस क्षेत्र में बाद की संगठनात्मक ताकत को कमजोर करने में कामयाब रही. वहीं विभाजनकारी राजनीति ने 2021 में उत्तर बंगाल के मैदानों और पहाड़ियों दोनों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे भाजपा को उत्तर बंगाल के पिछड़े और आदिवासी वोटों को अपने पक्ष में आकर्षित करने में मदद मिली.