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ईडी अधिकारियों को जारी नोटिस खारिज करने संबंधी याचिका पर नवंबर में होगी सुनवाई

दिल्ली हाई कोर्ट पश्चिम बंगाल पुलिस की तरफ से ईडी अधिकारियों को जारी नोटिस के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसी की याचिका पर अब 12 नवंबर को सुनवाई करेगा. ईडी ने आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल पुलिस कथित कोयला चोरी घोटाले की जांच को पटरी से उतारने के लिए अभिषेक बनर्जी के इशारे पर काम कर रही है.

पश्चिम बंगाल पुलिस
पश्चिम बंगाल पुलिस

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Published : Oct 26, 2021, 2:32 PM IST

नई दिल्ली :दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की उस याचिका पर नवंबर में सुनवाई करेगा, जिसमें तृणमूल कांग्रेस के नेता एवं सांसद अभिषेक बनर्जी की प्राथमिकी के आधार पर उसके अधिकारियों के खिलाफ पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा जारी दो नोटिस खारिज करने का अनुरोध किया गया है.

न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने मामले को 12 नवंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. सुनवाई की शुरुआत में निदेशालय की पैरवी कर रहे वकील अमित महाजन ने कहा कि अन्य संबंधित मामलों पर सुनवाई शुक्रवार को होनी है और इसलिए इस याचिका पर भी तभी सुनवाई की जाए, लेकिन अदालत ने कहा कि वह 12 नवंबर को मामले पर सुनवाई करेगी.

निदेशालय ने आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल पुलिस कथित कोयला चोरी घोटाले की जांच को पटरी से उतारने के लिए अभिषेक बनर्जी के इशारे पर काम कर रही है. निदेशालय ने अभिषेक बनर्जी द्वारा अप्रैल में एक प्राथमिकी दर्ज कराए जाने के बाद एजेंसी के अधिकारियों के खिलाफ जारी दो नोटिस रद्द करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है.

तृणमूल सांसद की शिकायत पर पश्चिम बंगाल में स्थानीय पुलिस ने प्रतिष्ठा धूमिल करने और मानहानि के उद्देश्य से रिकॉर्ड के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ करने और जालसाजी को लेकर भारतीय दंड संहिता के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की थी.

पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि याचिका विचार योग्य नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि निदेशालय पश्चिम बंगाल में दर्ज प्राथमिकी के संबंध में राहत के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका कैसे दायर कर सकता है.

निदेशालय ने दलील दी है कि प्राथमिकी के आधार पर 22 जुलाई और 21 अगस्त को जारी नोटिस पूरी तरह गैरकानूनी, दुर्भावनापूर्ण और कोयला चोरी घोटाले की जांच को पटरी से उतारने के लिए हैं.

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निदेशालय ने दो नोटिस और उसके बाद प्राथमिकी के संबंध में जारी किसी भी अन्य नोटिस को रद्द करने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया और कहा कि यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है.

(पीटीआई-भाषा)

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