कोलकाता:पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव 2023 के लिए लोगों ने मताधिकार का प्रयोग किया. शाम पांच बजे तक 66.28 प्रतिशत मतदान हुआ. इस दौरान राज्य के अलग-अलग हिस्सों में कई मतदान केंद्रों पर हिंसा की खबरें आई हैं. राज्य में शुक्रवार रात से लेकर अब तक हुई चुनाव संबंधी हिंसा में 18 लोग मारे गए हैं. यह जानकारी एक अधिकारी ने दी. अधिकारी ने कहा कि शुक्रवार की देर रात से शनिवार तक मारे गए लोगों में से आठ सत्तारूढ़ टीएमसी के थे और भाजपा, सीपीआई (एम), कांग्रेस और आईएसएफ के एक-एक कार्यकर्ता थे. हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में मुर्शिदाबाद, नादिया और कूच बिहार जिले के अलावा दक्षिण 24 परगना के भांगर और पूरब मेदिनीपुर के नंदीग्राम भी शामिल थे. हिंसक झड़पों में कई लोग घायल भी हुए हैं. इसके अलावा, राज्य के कई हिस्सों में मतदान केंद्रों पर मतपेटियों को नष्ट किए जाने की खबरें हैं.
ईटीवी भारत को मिली जानकारी के मुताबिक, मुर्शिदाबाद में कम से कम पांच, कूचबिहार में तीन, उत्तर दिनाजपुर और पूर्वी बर्धमान में दो-दो और दक्षिण 24 परगना, मालदा और नादिया जिलों में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है. इस पंचायत चुनाव में मतपेटियों की चोरी और जलाए जाने और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ जनता के गुस्से के कई मामले सामने आए हैं. केंद्रीय बलों की भारी तैनाती और कड़ी सुरक्षा के बावजूद हिंसा हुई.
पंचायत चुनाव के बीच हिंसा की घटनाएं :पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव 2023 के दौरान हिंसा की कई घटनाएं सामने आई हैं. अलग-अलग घटनाओं में पांच लोगों की मौत की खबर है. पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरानकूचबिहार के फलीमारी में एक मतदान केंद्र पर शरारती तत्वों के हमले में भाजपा उम्मीदवार के पोलिंग एजेंट माधव विश्वास की मौत हो गई जबकि पास खड़ी उम्मीदवार माया बर्मन घायल हो गईं. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इस बीच बूथ पर मतदान मतदान रोक दिया गया. पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले के दिनहाटा के इंद्रेश्वर प्राथमिक विद्यालय में मतपेटी में पानी फेंके जाने के बाद मतदान स्थगित कर दिया गया. वहीं, बारानाचिना में एक मतदान केंद्र पर कथित तौर पर फर्जी मतदान से नाराज मतदाताओं ने मतपेटी में आग लगा दी. मालदा के गोपालपुर पंचायत के बालूटोला में कांग्रेस और टीएमसी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई और बम फेंके गए. हुगली में धमसा के निवासियों ने एक मतदान केंद्र पर कथित तौर पर टीएमसी और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच हाथापाई के बाद दो मतपेटियां तालाब में फेंक दीं. निवासियों का आरोप है कि केंद्र पर केंद्रीय बलों की तैनाती नहीं की गई थी.
पत्रकार पर हमला : बीरभूम में पंचायत चुनाव 2023 के दौरान इलमबाजार थाना के बेलवा प्राथमिक विद्यालय में बूथ संख्या 90 और 91 पर बड़े पैमाने पर धांधली चल रही थी. अशांति इतनी थी कि ईटीवी भारत के पत्रकार अभिषेक दत्तारॉय और एक अन्य पत्रकार इंद्रजीत रूगे पर कुछ असामाजिक तत्वों ने हमला कर दिया. बताया जा रहा है कि हमलावर टीएमसी के गुंडे थे. बदमाशों ने शीशे तोड़ दिए, कपड़े फाड़ दिए और मोबाइल फोन छीनने का प्रयास किया. बूथ सुरक्षा में सिर्फ दो निहत्थी महिला पुलिसकर्मी तैनात थे और आसपास कोई केंद्रीय बल नहीं था. गुंडों ने उनके चेहरे पर मुक्का मारा, उनके कपड़े फाड़ दिए और ईटीवी भारत के पत्रकार का चश्मा तोड़ दिया. पत्रकार किसी तरह जान बचाकर भाग निकले.
राजनीतिक दलों का आरोप- प्रत्यारोप :दिन ढलने के साथ ही राजनीतिक दलों का आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी शुरू हो गया. विपक्ष के नेता और भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने नंदीग्राम के एक मतदान केंद्र पर पंचायत चुनाव के लिए अपना वोट डाला. बाद में मीडिया से कहा,' टीएमसी के गुंडों और पुलिस की मिलीभगत है इसलिए इतनी हत्या हो रही हैं. ममता बनर्जी हिंसा के लिए जिम्मेदार है.' पश्चिम बंगाल की मंत्री शशि पांजा ने कहा, 'पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों के शुरू होने से एक रात पहले चौंकाने वाली और दुखद घटनाएं सामने आई हैं. भाजपा, सीपीआई (एम) और कांग्रेस ने एक साथ मिलकर केंद्रीय बलों की मांग की थी. तैनाती कहां है? केंद्रीय बल नागरिकों की सुरक्षा करने में क्यों विफल रहे हैं? टीएमसी कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई है, दो को गोली मार दी गई है. जो लोग तैनाती की मांग कर रहे थे, कह रहे थे कि ये केंद्रीय बल शांति के संरक्षक हैं. अभिभावक विफल हो गए हैं , नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रहा.' राज्य विधानसभा में भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने मांग की कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए और पंचायत चुनावों में हिंसा के खिलाफ कालीघाट तक मार्च निकालने की धमकी दी, जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रहती हैं. उन्होंने कहा, ''राज्य प्रशासन के तहत स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होना जैसे असंभव-सा हो गया है. यह केवल तभी संभव है, जब चुनाव राष्ट्रपति शासन या अनुच्छेद 355 के तहत हों." एक बयान में, टीएमसी ने हालांकि दावा किया कि अगर पार्टी हिंसा के पीछे थी, तो उनके अपने कार्यकर्ताओं को क्यों निशाना बनाया जाएगा और मारा जाएगा? विपक्ष ने हार मान ली है और अब यह कहानी गढ़ने का प्रयास कर रहा है कि हिंसा ने चुनाव को कैसे प्रभावित किया.
उधर, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ओडिशा के भुवनेश्वर में चुनाव पर प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने कहा, 'पश्चिम बंगाल में पूरी व्यवस्था असंवैधानिक कामों में लग चुकी है. वहां की सरकार ना तो राज्यपाल के आदेश का सम्मान करती है और ना ही हाई कोर्ट के आदेश का. जब स्थानीय पुलिस और प्रशासन खुद ही पक्षपाती हो जाए और राजनीतिक दृष्टि से काम करे तो इसे संवैधानिक व्यवस्था नहीं कहा जाता है. लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है मगर वहां की सरकार जनाधार खो चुकी है और इसी डर में वो हिंसक प्रवृत्ति अपना रहे हैं.'
राज्यपाल ने लिया स्थिति का जायजा :पंचायत चुनावों के लिए मतदान होने के बीच राज्यपाल सीवी आनंद बोस स्थिति का जायजा लेने के अपने आश्वासन के तहत शनिवार को उत्तर 24 परगना के बारासात-1 उपमंडल में बम हमले में घायल एक व्यक्ति के घर गए. अधिकारियों ने कहा कि पीरगाछा में पीड़ित के परिवार से बात करने के बाद बोस बारासात में उस अस्पताल पहुंचे जहां उसका इलाज हो रहा है. उन्होंने अस्पताल में चिकित्सकों से बात की. उन्होंने कहा, "इसके बाद राज्यपाल ने उस व्यक्ति को शहर के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भेजने की व्यवस्था की. उन्होंने स्थिति का जायजा लिया और मतदान के बारे में जानकारी ली." बोस नदिया जिला जाने वाले थे, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) समर्थकों ने उन्हें कल्याणी एक्सप्रेसवे पर बसुदेवपुर के निकट रोक दिया और चुनावी धांधली होने की उनसे शिकायत की तथा कार्रवाई करने का अनुरोध किया.
अधिकारी ने कहा कि बोस ने राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) के अधिकारियों और पुलिस को फोन करने का प्रयास किया, लेकिन नेटवर्क में दिक्कत के कारण उनसे संपर्क नहीं हो सका. अधिकारी ने कहा, "बाद में वह कमरहाटी में विश्राम गृह में रुके, जहां उन्होंने अधिकारियों को स्थिति का जायजा लेने का निर्देश दिया." राजभवन लौटने के बाद बोस ने कहा कि वह फिर से स्थिति का जायजा लेने के लिए निकलेंगे और विभिन्न पंचायत क्षेत्रों का औचक दौरा करेंगे.