बोलपुर: विवादों के बीच एक आवेदन के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के नाम पूरी जमीन दर्ज करा दी है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देशानुसार उनके पिता स्वर्गीय आशुतोष सेन की वसीयत में 1.38 एकड़ जमीन अमर्त्य सेन के नाम दर्ज की गई. तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष भूमि एवं भूमि सुधार विभाग के रिकॉर्ड की जानकारी पहले ही ट्वीट कर चुके हैं. कुणाल घोष ने ट्वीट किया, 'माननीय मुख्यमंत्री नोबेल पुरस्कार विजेता के बगल में हैं.'
तृणमूल प्रवक्ता की घोषणा के बाद विश्वभारती के कार्यवाहक सचिव अशोक महत ने यह बात कही कि अगर अमर्त्य सेन या उनके प्रतिनिधि ने 29 मार्च को व्यक्तिगत रूप से भूमि के दस्तावेज नहीं भेजे, तो विश्वविद्यालय अगले कदम के रूप में कानूनी रास्ता अपनाएगा. संयोग से, विश्वभारती के अधिकारी अपने पिता दिवंगत आशुतोष सेन की वसीयत के अनुसार अमर्त्य सेन के भूमि पंजीकरण के आवेदन को खारिज करने के लिए भूमि और भूमि सुधार विभाग को दस्तावेज प्रस्तुत करने में विफल रहे.
वास्तव में, पंडित क्षितिमोहन सेन विश्वभारती की स्थापना में कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर के सहयोगी थे. वे नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के दादा हैं. यहां तक कि 'अमर्त्य' का नाम भी विश्व कवि ने ही रखा था. सेन परिवार कविगुरु के समय से शांतिनिकेतन में 'प्रातीची' घर में रह रहा है. 1943 में, अमर्त्य सेन के पिता स्वर्गीय आशुतोष सेन के नाम पर भूमि को 99 वर्षों के लिए पट्टे पर दिया गया था.
बाद में 2005 में, इस भूमि को अमर्त्य सेन के नाम पर म्यूट कर दिया गया था. विश्वभारती के अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि बगल के घर में 13 डिसमिल भूमि पर कब्जा कर लिया गया है. विश्वभारती प्राधिकरण ने प्रोफेसर सेन को 3 पत्र भेजकर जमीन वापस करने की मांग की है. यहां तक कि विश्वभारती के कुलपति बिद्युत चक्रवर्ती को भी भारत रत्न अमर्त्य सेन को निशाना बनाते हुए कई टिप्पणियां करते सुना गया है.