कोलकाता :पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले में एक अवैध पटाखा फैक्टरी में हुए विस्फोट की जांच कर रही पश्चिम बंगाल सीआईडी (अपराध अन्वेषण विभाग) ने गुरुवार को, मुख्य आरोपी और दो अन्य लोगों को ओडिशा से गिरफ्तार किया है. इस विस्फोट में नौ लोग मारे गए थे. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस मामले में मुख्य आरोपी भानु बाग अवैध पटाखा इकाई का मालिक है. सीआईडी अधिकारी ने कहा कि फैक्टरी के मालिक को ओडिशा के एक नर्सिंग होम से गिरफ्तार किया गया. गौरतलब है कि मंगलवार को हुए विस्फोट में घायल होने के बाद उसका यहां इलाज हो रहा है.
उन्होंने कहा कि आग की वजह से बाग 70 फीसदी जल गया है और उसकी हालत 'गंभीर' है. अधिकारी ने कहा, "पटाखा इकाई विस्फोट मामले में मुख्य आरोपी, उसके बेटे और भतीजे को कटक से गिरफ्तार किया गया है." अधिकारी ने कहा कि मामले के मुख्य आरोपी की हालत अब भी 'गंभीर' है और 'अभी उसे पश्चिम बंगाल वापस लाना संभव नहीं है.' जिला पुलिस ने मंगलवार को हुए विस्फोट के संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की है जिसमें नौ लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हो गए थे. सीआईडी, फॉरेंसिक विभाग और बम निरोधक दस्ते की टीम ने भी विस्फोट की जांच शुरू कर दी है.
बता दें कि पश्चिम बंगाल पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने मंगलवार को पूर्वी मेदिनीपुर जिले के एगरा में एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट की जांच शुरू कर दी है, जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई थी. इस बात पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि प्रथम सूचना रिपोर्ट में विस्फोटक अधिनियम के तहत संबंधित धाराओं को क्यों शामिल नहीं किया गया है. पता चला है कि प्राथमिकी में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188 (अवैध गतिविधियां), 286 (विस्फोटक पदार्थ के साथ लापरवाहीपूर्ण आचरण) और 304 (लापरवाही से मौत) के साथ-साथ धारा 24 (रॉकेट छोड़ने पर जुर्माना) और पश्चिम बंगाल अग्निशमन सेवा अधिनियम के 26 (वेयरहाउस या वर्कशॉप के लिए लाइसेंस नहीं लेने पर जुर्माना) शामिल हैं. हालांकि, नौ लोगों की मौत के बावजूद विस्फोटक अधिनियम के तहत एक भी धारा प्राथमिकी में शामिल नहीं की गई है. अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या मामले की गंभीरता को कम करने के कथित इरादे से जानबूझकर विस्फोटक कानून की धाराओं को बाहर रखा गया है?
कलकत्ता उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील कौशिक गुप्ता ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह काफी अजीब लगता है कि प्राथमिकी में विस्फोटक अधिनियम के तहत धाराओं को शामिल नहीं किया गया, जो आमतौर पर इस तरह के विस्फोट के मामले में किया जाता है. गुप्ता ने कहा, "हालांकि, विस्फोटक अधिनियम के तहत धाराओं को बाहर करने का मतलब यह नहीं है कि इसे भविष्य में नहीं जोड़ा जा सकता. जांच एजेंसी बाद के चरण में संबंधित धाराओं को शामिल कर सकती है." विपक्षी दल दावा कर रहे हैं कि पुलिस अधिकारी सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को बचाने के लिए जानबूझकर इस घटना को कमतर करने की कोशिश कर रहे हैं, जो कथित तौर पर इस त्रासदी में शामिल हैं.