कोलकाता :पश्चिम बंगाल में आठ भाजपा विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. मुकुल रॉय को पीएसी (लोक लेखा समिति) का चेयरमैन बनाए जाने के खिलाफ ये कदम उठाए गए हैं. सभी विधायकों ने पश्चिम बंगाल विधानसभा की समितियों और स्थायी समितियों की अध्यक्षता से इस्तीफा दिया है. भाजपा के निर्देश के अनुसार सभी विधायकों ने दिनांक 09.07.2021 के प्रभाव से इस्तीफा दिया है.
राजभवन जाने के बाद भाजपा विधायक और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा, पीएसी की अध्यक्षता को लेकर पश्चिम बंगाल विधानसभा में जिस तरह से राजनीति हो रही है, हम इस मुद्दे को लेकर राज्यपाल के पास आए हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा को वोट देने वाले 2.28 करोड़ लोगों को अलग-थलग करने के विरोध में भाजपा ने राज्यपाल से बात की है. उन्होंने कहा कि राज्य की परंपराओं को पहली बार तोड़ा गया है.
शुभेंदु ने सवाल किया कि पीएसी अध्यक्ष के लिए नामांकित व्यक्ति को टीएमसी कोटे से क्यों चुना गया? उन्होंने कहा कि साल 2017 से, सत्तारूढ़ दल ने विधानसभा में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई है. 2020 में COVID-19 के उपकरण की खरीद में 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई है.
विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने रॉय की पदोन्नति पर आपत्ति जताते हुए तर्क दिया कि विधायक, जो पिछले महीने भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में चले गए थे, उन्हें भाजपा का विधायक नहीं माना जा सकता.
भाजपा के विधायकों में से एक मनोज तिग्गा ने एक स्थायी समिति से इस्तीफा देने के बाद कहा कि रॉय की नियुक्ति अलोकतांत्रिक और पक्षपातपूर्ण राजनीति का नग्न प्रदर्शन है. इसके विरोध में, हमने पद छोड़ने का फैसला किया है. अधिकारी के नेतृत्व में, मिहिर गोस्वामी, भीष्म प्रसाद शर्मा और तिग्गा सहित आठ विधायक बाद में राज्यपाल जगदीप धनखड़ को सत्तारूढ़ दल द्वारा लोकतांत्रिक मानदंडों के घोर उल्लंघन से अवगत कराने के लिए राजभवन गये.